दिवाली पर रोशनी के साथ पर्यावरण संरक्षण...गाय के गोबर से बने एक लाख दीयों का वितरण कर रहे गौशाला प्रबंधक
चंडीगढ़ में दिवाली पर पर्यावरण संरक्षण के लिए गौशाला सेक्टर-45 में गाय के गोबर से बने दीयों का मुफ्त वितरण किया जा रहा है। गौरीशंकर सेवा दल द्वारा निर्मित, इन दीयों में हवन सामग्री और नीम के पत्ते शामिल हैं। गौशाला का लक्ष्य एक लाख दीये बांटना है, जिससे प्रदूषण कम हो और स्वच्छ हवा मिले।

सेक्टर-45 स्थित गौशाला में निशुल्क दीयों का वितरण किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। दीपावली पर आपके घर में रोशनी के साथ पर्यावरण भी स्वच्छ हो। इसी उद्देश्य से सेक्टर-45 स्थित गौशाला में निशुल्क दीयों का वितरण कर रहा है। यह दीये मिट्टी से नहीं बल्कि गाय के गोबर से बने हुए हैं, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से वितरित किया जा रहा है। गौशाला संचालक गौरीशंकर सेवा दल की तरफ से इन दीयों का निर्माण तीन महीने पहले शुरु कर दिया गया था जिन्हें आज धनतेरस के मौके पर बांटना शुरू किया है। गाय के गोबर से बने हुए दीयों में पर्यावरण संरक्षण के लिए हवन सामग्री, जटामासी, नीम के पत्तों से लेकर सूखे फूलों का इस्तेमाल किया गया है। इस दीपावली गौशाला की तरफ से एक लाख दीये बांटने का लक्ष्य है ताकि ज्यादा से ज्यादा घरों की रौनक यह दीये बन सकें।
ज्योति जलने के बाद जलेगा दीया, पैदा होगा हवन युक्त धुआं
दीपावली पर गाय के गोबर से बने हुए दीयों को जलाने पर वह पहले अपने अंदर डाली गई ज्योति को जलाएंगे। जैसे ही तेल से जल रही ज्योति जलकर खत्म होगी तो गोबर से बने हुए दीये को आग लग जाएगी। दीये को आग लगने के बाद धुआं पैदा होगा जो कि हवा में मिश्रित होने के बाद उसमें फैले हुए प्रदूषण, गंदे बैक्टीरिया को खत्म करेगा और वायु साफ-स्वच्छ होगी।
पटाखों के बजाए गाय के गोबर ज्यादा उपयोगी: सुमित शर्मा
गौशाला संचालक सुमित शर्मा ने बताया कि पटाखे जलाने से पर्यावरण में धुआं फैलता है जो कि हवा को प्रदूषित करने के साथ कई प्रकार के रोगों को भी जन्म देता है। यदि ज्यादा से ज्यादा लोग पटाखों को छोड़कर हमारे पास से निशुल्क गोबर के दीये ले जाकर दीपावली मनाएंगे तो निश्चित तौर पर प्रदूषण नहीं होगा। बदलते मौसम के कारण पर्यावरण में जो भी गंदगी बढ़ रही है वह शांत हो जाएगी और हम स्वच्छ हवा में जीने के काबिल हो पाएंगे। सुबह दस बजे से गोबर से बने हुए दीयों को बांटा जा रहा है जिन्हें कोई भी शहरवासी आज, कल और परसों तक लेकर जा सकता है।
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