चंडीगढ़ में अतिक्रमण का खेल... बिना लाइसेंस फीस दिए वेंडर लगा रहे रेहड़ी फड़ी, शहर में 20 हजार वेंडर
शहर के हर वार्ड और सेक्टर में वेंडर बिना लाइसेंस के अपनी रेहड़ियां लगा रहे हैं। बिना लाइसेंस के वेंडिंग करने पर जुर्माना दस हजार रुपये है। अतिक्रमण हटाओ दस्ता इनपर कार्रवाई भी करता है। फिर भी हर दिन हजारों वेंडर बिना फीस जमा करवाए वेंडिंग करते हैं।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में इस समय अतिक्रमण का जमकर खेल चल रहा है। इसका नुकसान नगर निगम को वित्तीय तौर पर भी हो रहा है। क्योंकि वेंडर से जो लाइसेंस फीस आती थी वह आधी हो गई है। नगर निगम को हर साल वेंडर से लाइसेंस फीस के तौर पर 8 करोड़ रुपये की कमाई होती थी, लेकिन इस वित्तीय सत्र में इतनी कमाई होने की उम्मीद नहीं है। नगर निगम में 10 हजार 927 रजिस्टर्ड वेंडर हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 3774 वेंडर की हर माह लाइसेंस फीस आ रही है। सड़कों के किनारे भी अवैध तौर पर रेहड़ी फड़ी लग रही है।
स्ट्रीट वेंडर एक्ट के कई नियम हर दिन टूटते हैं। नगर निगम की टाउन वेंडिंग कमेटी का भी हाल ही में गठन किया गया, जिसमें व्यापारियों के दो प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। इस समय शहर के व्यापारियों का एक बड़ा मामला यह है कि दुकानों के आगे बरामदे में डिसप्ले के लिए रखा जा रहा सामान अतिक्रमण हटाओ दस्ता उठा लेता है। क्योंकि नगर निगम इसे अतिक्रमण मानता है। जबकि व्यापारियों का कहना है कि बरामदे का भुगतान उन्होंने प्रशासन को किया है। शहर में वेंडर अवैध तौर पर फड़ियां लगा रहे हैं उनको राहत दी जा रही है।
इस समय शहर के हर वार्ड और सेक्टर में वेंडर बिना लाइसेंस के अपनी रेहड़ियां लगा रहे हैं। बिना लाइसेंस के वेंडिंग करने पर जुर्माना दस हजार रुपये है। नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ दस्ता इन पर कार्रवाई भी करता है। बावजूद शहर में हर दिन हजारों वेंडर बिना फीस जमा करवाए वेंडिंग करते हैं।
फासवेक अध्यक्ष बलजिंदर सिंह बिट्टू का कहना है कि शहर की गलियों में जो वेंडर आते हैं उनकी पुलिस को वेरिफिकेशन करनी चाहिए। शहर में विभिन्न जगहों पर वेंडिंग जोन साइट है फिर भी पूरे शहर में वेंडर दिखाई देते हैं। उनका कहना है कि पर्यटक स्थलों के बाहर जो आइसक्रीम वाले बैठे हैं वह लोगों से ओवरचार्जिंग करते हैं जब उनसे पूछा जाता कि ऐसा क्यों कर रहे हैं तो उनका कहना होता है कि अतिक्रमण हटाओ दस्ते को भी खर्चा पानी देना पड़ता है तभी यहां पर फड़ी लगाने की मंजूरी मिलती है।
कांग्रेस पार्षद जसबीर बंटी का कहना है कि रजिस्टर्ड वेंडर के मुकाबले में काफी कम वेंडर की फीस आ रही है।असल में इस समय शहर में 20 हजार वेंडर काम कर रहे हैं। बिना लाइसेंस फीस जमा करवाए नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ दस्ते की मिलभगत से ये वेंडर काम कर रहे हैं।
नगर निगम की ओर से सेक्टर-1 से 6 और सेक्टर-17 को नो वेंडिंग जोन घोषित किया हुआ है। बावजूद यहां पर भी वेंडर अपनी रेहड़ी लगाते हैं। राक गार्डन और सुखना लेक के बाहर भी वेंडर को बैठने की मंजूरी नहीं है, लेकिन यहां पर वेंडर बैठे होते हैं।
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