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    BSF जवानों की जबरन सेवानिवृत्ति रद, मामूली चूक पर कठोर कार्रवाई को हाईकोर्ट ने बताया गलत

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 03:44 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने बीएसएफ के दो जवानों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामूली चूक के आधार पर यह कार्रवाई उचित नहीं है क्योंकि जवानों का सेवा रिकॉर्ड अच्छा था। कोर्ट ने बीएसएफ अधिकारियों द्वारा प्रशासनिक गाइडलाइन का पालन न करने की बात भी कही और मामले को कमांडिंग ऑफिसर के पास भेज दिया।

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    हाईकोर्ट ने बीएसएफ जवानों की सेवानिवृत्ति रद की।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो जवानों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि केवल समय की पाबंदी से जुड़ी मामूली चूक के आधार पर इतनी सख्त कार्रवाई करना असमानुपातिक है, खासकर जब जवानों का सेवा रिकार्ड बेहतर रहा हो।

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    याचिकाकर्ता श्रीकांत गौड़ा पाटिल (कर्नाटक) और चौधरी दशरथ भाई (गुजरात) को 20 नवंबर 2014 को बीएसएफ नियम 1969 के नियम 26 के तहत 'अनुपयुक्तता' के आधार पर जबरन रिटायर किया गया था। दोनों जवानों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि उनका सेवा रिकार्ड बेदाग था।

    पाटिल की पिछली पांच साल की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में चार बार 'बहुत अच्छा' और एक बार 'अच्छा' ग्रेड मिला, वहीं चौधरी दशरथ भाई को दो बार 'बहुत अच्छा' और तीन बार 'अच्छा' दर्जा मिला।

    उन पर लगाए गए आरोप, जैसे छुट्टी पर देरी से लौटना या अनुपस्थिति, मामूली प्रकृति के थे। जस्टिस विनोद एस भारद्वाज की बेंच ने पाया कि बीएसएफ अधिकारियों ने अपनी ही प्रशासनिक गाइडलाइन का पालन नहीं किया।

    इन गाइडलाइन के अनुसार, अनिवार्य सेवानिवृत्ति से पहले जवानों के सेवा रिकार्ड का कम से कम तीन से चार वर्षों की अवधि में समग्र मूल्यांकन किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि तीन या अधिक प्रतिकूल प्रविष्टि होना सेवानिवृत्ति का आधार नहीं है, बल्कि यह केवल मूल्यांकन प्रक्रिया की शुरुआत का कारण हो सकता है।

    कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का प्रदर्शन लगातार खराब नहीं था और न ही सुधार की संभावनाएं पूरी तरह खत्म हुई थीं। इस आधार पर 2014 का सेवानिवृत्ति आदेश रद कर दिया गया।

    अदालत ने मामले को संबंधित कमांडिंग ऑफिसर के पास भेजते हुए चार महीने के भीतर गाइडलाइन के अनुरूप नया आदेश पारित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही दोनों जवानों को 1 अक्टूबर 2025 को अपनी-अपनी बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर के सामने पेश होने को कहा गया है।

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