Harmanpreet Kaur कैसे बनीं महिला क्रिकेट की सुपरस्टार? मोगा से 30 किलोमीटर दूर जाकर सीखी खेल की बारीकियां
Harmanpreet Kaur Success Story भारतीय महिला क्रिकेट में एक अलग पहचान बनाने वाली स्टार बल्लेबाज हरमनप्रीत कौर भुल्लर पर क्रिकेट का जुनून बचपन से ही सवार हो गया था। कोच कमलदीश सिंह सोढ़ी से क्रिकेट सीख कर हरमनप्रीत ने आज बड़ा मुकाम हासिल किया है। वह लगातार क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन दे रही हैं और आज के समय में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की धमाकेदार बल्लेबाज और कप्तान है।

चंडीगढ़, जागरण डिजिटल डेस्क । भारतीय क्रिकेट में अपना नाम बनाने वाली स्टार बल्लेबाज हरमनप्रीत कौर भुल्लर पर क्रिकेट का भूत तब सवार हुआ जब उन्होंने अपने पिता में खेल के प्रति जुनून देखा। 8 मार्च 1989 को पंजाब के मोगा में जन्मी हरमनप्रीत के पिता हरमंदर सिंह भुल्लर वॉलीबॉल और बास्केटबॉल खिलाड़ी थे।
पंजाब के मोगा में गली क्रिकेट के दिनों से ही अपने खेल के जरिए सबके पसीने छुटा देती थी। हरमनप्रीत कौर भुल्लर, आज भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तान है।
प्रैक्टिस के लिए जाती थी 30 किमी दूर
हरमनप्रीत ने अपनी जीवन में आज जो मुकाम हासिल किया है उसके लिए वह अपने बचपन के कोच कमलदीश सिंह सोढ़ी का शुक्रिया अदा करती हैं। हरमनप्रीत कौर के कोच ने बचपन में ही उनके अंदर क्रिकेट के लिए लगाव देख लिया था, जिसके बाद उन्होंने महिलाओं की टीम बनाने का सोच लिया था।
हरमनप्रीत बचपन में क्रिकेट सीखने के लिए हमेशा उत्सुक रहती थीं। मोगा में अपने निवास से 30 किलोमीटर दूर जियान ज्योति स्कूल अकादमी में शामिल हुईं, जहां उन्होंने कमलदेश सिंह सोढ़ी से प्रशिक्षण लिया।
पहला टूर्नामेंट यहां खेला
कड़ी मेहनत से उनका चयन मोगा जिले की टीम में हो गया। इस टीम के माध्यम से उन्होंने अपने करियर का पहला बड़ा टूर्नामेंट पंजाब का इंटर-डिस्ट्रिक्ट टूर्नामेंट खेला। बाद में वह पंजाब रणजी टीम का भी प्रतिनिधित्व करने लगीं।
दिए धमाकेदार प्रदर्शन
कोच के इस फैसले के बाद से ही हरमनप्रीत लगातार अपने दमदार प्रदर्शन देने लगी थी, जो कि उम्मीद से कहीं जल्दी आगे बढ़ी। समय के साथ हरमनप्रीत ने भारतीय क्रिकेट टीम की ओर कदम बढ़ाने का सोचा और संयोग से भारतीय क्रिकेट टीम की ओर से कॉल आई और 2009 में हरमनप्रीत कौर ने खुद को भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल कर लिया।
एक शानदार स्पिनर भी हैं हरमनप्रीत कौर
हरमनप्रीत कौर का असली संघर्ष तो उनके भारतीय क्रिकेट टीम में आने के बाद शुरू हुआ। टीम की एक महत्वाकांक्षी गेंदबाज के रूप में हरमनप्रीत को कई एक्सपीरियंस खिलाड़ियों के सामने एक के बाद एक निराशाजनक दिन देखने पड़े। उन्होंने ठान लिया कि अब उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में अपना नाम बनाना है तो खुद को सबसे अलग और बेहतरीन प्रदर्शन दिखाना ही होगा।
इसके बाद उन्होंने बल्लेबाजी की तरफ अपना रुख किया और अपनी मेहनत और लगन से जल्द ही बेहतरीन बल्लेबाज बन गई। हरमनप्रीत एक जांबाज बल्लेबाज होने के साथ-साथ एक शानदार स्पिनर भी हैं। जैसे जैसे उनकी परफॉर्मेंस अच्छी होती गई वह टीम की ओर आगे बढ़ती गई।
हरमनप्रीत कौर भुल्लर से जुड़ी खास बातें
- रणजी स्तर पर अपना बेहतरीन प्रदर्शन देने के बाद हरमनप्रीत कौर को 2009 में भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिली। इसके बाद हरमनप्रीत ने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ा, जो कि यादगार बन गया, जब भारत ने 10 विकेट से मैच जीता था।
- हरमनप्रीत को क्रिकेट में अपना आदर्श भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को मानती है। वह उनकी प्रशंसा करती हैं। लोगों को ये समझने में कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि खुद एक उत्कृष्ट आक्रामक खिलाड़ी हैं।
- 2012 के बाद से हरमनप्रीत के जीवन में बदलाव आया, जब महिला एशिया कप शुरू होने से पहले कप्तान मिताली राज और उपकप्तान झूलन गोस्वामी चोटिल हो गई और हरमनप्रीत पर टीम को संभालने की जिम्मेवारी आई। हरमनप्रीत के कप्तान बनने के बाद टीम का प्रदर्शन और अच्छा हुआ और उन्होंने फाइनल में पाकिस्तान को 18 रन से हराकर टूर्नामेंट जीता
- 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में आई, लेकिन ये मैच उनकी खेल शैली के अनुसार नहीं था। हालांकि सीमित ओवरों में उनका रिकॉर्ड शानदार था, लेकिन वह अपने पहले टेस्ट में केवल 9 और शून्य रन ही बना सकीं। हरमनप्रीत ने दो टेस्ट मैचों में 26 रन बनाए थे।
- बता दें कि हरमनप्रीत ने अब तक 65 एकदिवसीय मैच खेले हैं। इन मैचों में उन्होंने तीन शतक और नौ अर्धशतक बनाकर 1974 रन बनाए। 28 साल की हरमनप्रीत कौर ने 60 पारियों में टोटल 1223 रन बनाए, जिसमें चार अर्धशतक शामिल हैं।
- जून 2016 में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के डोमेस्टिक टी20 टूर्नामेंट बिग बैश लीग फ्रेंचाइजी सिडनी थंडर के साथ एक हस्ताक्षर किए। ऐसा करके वह पुरुषों और महिलाओं के बीच अंतरराष्ट्रीय टी20 लीग के लिए साइन करने वाली पहली भारतीय क्रिकेटर बन गईं।
- ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 115 गेंदों में 171 रनों की उनकी शानदार पारी महिला विश्व कप में किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा दर्ज किया गया सबसे बेहतरीन स्कोर है। भारत के खिलाफ 2005 संस्करण के फाइनल में करेन रोल्टन के 107 रन बनाने के बाद यह WWC के नॉकआउट इतिहास में दर्ज किया गया केवल दोहरा शतक था।
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