सीनेट विवाद को भुना रहे राजनीतिक दल, PU के जरिए तैयार कर रहे Punjab विधानसभा चुनाव की सियासी पिच
पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट विवाद के बीच पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने युवाओं को लुभाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस, आप, और अकाली दल जैसे दल पीयू के माध्यम से युवा मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रहे हैं। छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी की जीत ने राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं, जिससे सभी दल युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने में लगे हैं।

पंजाब के इतिहास का पीयू से गहरा लगाव है।
मोहित पांडेय, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी में चल रहे सीनेट विवाद को भुनाकर राजनीतिक दल पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए सियासी पिच तैयार करने में जुटे हुए है। इस बार का पंजाब का विधानसभा चुनाव कई मायनों में अलग होगा।
पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) में सीनेट चुनाव को लेकर गठन किए गए पीयू बचाओ मोर्चा का साथ देने के लिए बड़ी संख्या में कांग्रेस, आप, अकाली दल समेत अन्य दलों के दिग्गज नेता पहुंच रहे है। इसके जरिए वह पंजाब विधानसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले युवा मतदाताओं को साधने की कवायद में जुटे हुए है।
पीयू में मोर्चा का साथ देने के लिए आने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के दिग्गज नेताओं की झड़ी लगी हुई है। हर दिन आठ से दस नेता पहुंच रहे है। इसके साथ कुछ नेता एक-दो दिन के अंतराल के बाद फिर धरना स्थल पर पहुंच कर युवाओं को अपने पाले में करने के कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
इसके साथ ही अपने भाषण के जरिए सभी नेता केंद्र सरकार व बीजेपी पर निशाना साध रहे है। वहीं, कांग्रेस व अकाली दल के नेता पंजाब में सत्तारूढ़ पार्टी आप के खिलाफ मोर्चा खोलने में जुटे हुए है। वहीं, पंजाब के इतिहास का पीयू से गहरा लगाव है। इसको भावनात्मकता रूप देकर सियासी दल स्टूडेंट्स के हितैषी बनाने में जुटे हुए है।
युवाओं से नाता जोड़, वोट पक्के करने पर दिग्गजों का जोर
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब में युवा मतदाताओं का संख्या 53 प्रतिशत से भी अधिक है। इसके चलते 2027 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव में युवाओं का मत पार्टियों के सियासी भविष्य तय करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। चुनाव में भले ही डेढ़ वर्ष का समय बाकी है लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से चुनावी रण के रोडमैप में तैयार करने में जुटी हुई है।
छात्रसंघ चुनाव में नैया पार न लगने से बढ़ा दिग्गजों का काम
इस बार पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में चुनावी नतीजे देकर सबको चौंका दिया था। पीयू जनादेश में पहली बार एबीवीपी ने जीत दर्ज की थी। वहीं, पंजाब में किसान आंदोलन के दौरान शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दरकिनार कर लिया था।
दोनों पार्टियों को अलग होने के बाद एक तरफ लगातार जहां बीजेपी पंजाब की तरह पीयू में अपनी जड़े मजबूूत करती दिख रही थी। वहीं, अकाली दल की सोई चुनाव में वर्चस्व की लड़ाई लड़ने में नाकाम नजर आई। इस बार के पीयू के चुनावी दंगल में बीजेपी की एबीवीपी ने कांग्रेस की एनएसयूआइ और आप की एसएसपी को धूल चटाई थी। ।

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