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    पंजाब की भगवंत मान सरकार ने बंद किए 19 टोल प्लाजा, जनता को होगी 225 करोड़ की सालाना बचत

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 12:16 AM (IST)

    पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने मार्च 2022 से अब तक 19 टोल प्लाजा बंद कर दिए हैं। यह कदम अनुबंध उल्लंघन, खराब रखरखाव या अनुबंध समाप्त होने के कारण उठाया गया है। इससे पंजाब के लाखों यात्रियों को प्रतिदिन लगभग 65 लाख रुपये और सालाना 225 करोड़ रुपये की सीधी बचत हो रही है। यह सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त और जन-समर्पित शासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिली है।  

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    'टोल लूट' पर मान सरकार का बड़ा प्रहार

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम उठाया है, जिसने आम जनता को सीधे तौर पर बड़ी राहत दी है। मार्च 2022 से अब तक, राज्य सरकार ने पंजाब की सड़कों पर चल रही "खुली लूट" को समाप्त करते हुए कुल 19 टोल प्लाजा को सफलतापूर्वक बंद कर दिया है। यह फैसला सिर्फ एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह आम लोगों की जेब पर पड़ने वाले अनावश्यक बोझ को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है। इन 19 टोल प्लाजों के बंद होने से पंजाब के लाखों यात्रियों को प्रतिदिन लगभग 65 लाख की सीधी बचत हो रही है, जो सालाना 225 करोड़ के भारी-भरकम आंकड़े में तब्दील हो जाती है। यह मुख्यमंत्री मान की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने पंजाब के लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त और जन-समर्पित शासन देने का वादा किया था।

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    पंजाब सरकार का यह कदम पिछली सरकारों की नीतियों के बिल्कुल विपरीत है, जहाँ टोल कंपनियों को अक्सर कथित तौर पर संरक्षण दिया जाता था। मान सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जो कंपनियां अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) की शर्तों का उल्लंघन करेंगी, सड़कों का रखरखाव ठीक से नहीं करेंगी, या सरकार को देय रॉयल्टी जमा नहीं करेंगी, उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। इन 19 टोल प्लाजा में से कई को इसलिए बंद किया गया क्योंकि या तो उनका अनुबंध समाप्त हो गया था और सरकार ने उन्हें कोई विस्तार देने से साफ इनकार कर दिया, या फिर उन्हें अनुबंध के उल्लंघन के लिए दंडात्मक कार्रवाई के तहत बंद किया गया। यह फैसला इस बात का प्रमाण है कि वर्तमान पंजाब सरकार कॉरपोरेट मुनाफे की जगह आम जनता के हितों को सर्वोपरि रखती है और जवाबदेही तय करने में कोई संकोच नहीं करती।

    इस बड़े बदलाव की शुरुआत 2022 में ही हो गई थी, जब सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि अब "लूट का दौर" खत्म हो गया है। 4 सितंबर 2022 को संगरूर-लुधियाना रोड पर लड्डा और अहमदगढ़ टोल प्लाजा को बंद कर दिया गया। ऑपरेटर ने कोविड और किसान आंदोलन का हवाला देकर 50 करोड़ का मुआवजा या विस्तार मांगा, जिसे मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह एक वैश्विक आपदा थी और इसका बोझ जनता पर नहीं डाला जा सकता। इसके बाद, 15 दिसंबर 2022 को होशियारपुर-टांडा रोड पर लछोवाल टोल प्लाजा को बंद करना एक बड़ा कदम था। यहाँ सरकार ने न केवल विस्तार देने से इनकार किया, बल्कि अनुबंध के उल्लंघन और फंड डायवर्जन के आरोप में कंपनी के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई, यह साबित करते हुए कि सरकार केवल बातें नहीं, बल्कि सख्त एक्शन लेने में विश्वास रखती है।

    साल 2023 में इस मिशन में और भी तेजी आई। 1 अप्रैल 2023 को कीरतपुर साहिब-नंगल-ऊना रोड पर नक्कियां टोल प्लाजा को बंद करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ऐलान किया कि "राज्य में 'सड़कों पर किराए' का युग समाप्त हो गया है"। उन्होंने खुलासा किया कि ऑपरेटर ने सड़क पर बिटुमेन की दूसरी परत बिछाने में 1,093 दिनों की देरी की थी और कंपनी पर 67 करोड़ का जुर्माना बकाया था, जिसे पिछली सरकारें वसूलने में विफल रही थीं। इस एक टोल के बंद होने से ही जनता को रोज़ 10.12 लाख की बचत होने लगी। इसके बाद पटियाला में समाना-पत्रान रोड और अन्य स्थानों पर भी टोल बंद किए गए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सरकार हर उस कंपनी का हिसाब कर रही है जिसने जनता को लूटा है।

    पंजाब सरकार की यह कार्रवाई पिछली सरकारों की कार्यप्रणाली पर भी एक बड़ा सवालिया निशान लगाती है। 5 जुलाई 2023 को मोगा-कोटकुपूरा रोड पर सिंघावाला टोल प्लाजा को बंद करते हुए मुख्यमंत्री मान ने एक बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि इस कंपनी पर 3.89 करोड़ का जुर्माना जमा हो गया था, जो अनुबंध को समाप्त करने के लिए 3.11 करोड़ की सीमा से भी अधिक था। इसका मतलब है कि इस टोल प्लाजा को 2019 में ही बंद किया जा सकता था, लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार ने कथित तौर पर ऑपरेटर को "संरक्षण" दिया और जनता की लूट जारी रहने दी। मान सरकार ने सत्ता में आते ही इस "मिलीभगत" को तोड़ा और जनता के पक्ष में फैसला लिया।

    यह अभियान 2024 और 2025 में भी पूरी ताकत से जारी रहा। अप्रैल 2024 में लुधियाना-बरनाला हाईवे पर रकबा और महल कलां टोल प्लाजा बंद किए गए, जिससे टोल-मुक्त सड़कों की सूची और लंबी हो गई। इस नीति का सबसे ताज़ा और 19वां उदाहरण अक्टूबर 2025 में जगराओं-नकोदर टोल प्लाजा का बंद होना है। यह टोल अनुबंध की समाप्ति से लगभग 18 महीने पहले ही बंद कर दिया गया। इसका कारण स्पष्ट था: ऑपरेटर सड़कों की ज़रूरी मरम्मत करने और सरकार को रॉयल्टी जमा करने में विफल रहा था। यह दिखाता है कि सरकार न केवल अनुबंध समाप्त होने पर, बल्कि सक्रिय रूप से निगरानी करके और जनहित का उल्लंघन होने पर समय से पहले भी सख्त कदम उठा रही है।

    इन 19 टोल प्लाजा के बंद होने का सबसे बड़ा लाभ सीधे पंजाब की आम जनता को मिल रहा है। यह आंकड़े केवल राजनीतिक बयानबाजी नहीं हैं, बल्कि यह हर उस नागरिक की जेब पर सकारात्मक असर डाल रहे हैं जो इन सड़कों का इस्तेमाल करता है। अप्रैल 2023 तक, जब 8 टोल बंद हुए थे, तब दैनिक बचत 10.12 लाख थी। जुलाई 2023 तक, 10 टोल बंद होने पर यह बचत बढ़कर 44.43 लाख प्रतिदिन हो गई। और अब, अक्टूबर 2025 में 19 टोल बंद होने के साथ, यह आंकड़ा लगभग 65 लाख प्रतिदिन (यानी 225 करोड़ सालाना) तक पहुंच गया है। सरकार ने राज्य के लगभग 590 किलोमीटर स्टेट हाईवे को टोल-मुक्त कर दिया है, जिससे लाखों किसानों, व्यापारियों, छात्रों और दैनिक यात्रियों को बड़ी आर्थिक राहत मिली है।

    पंजाब सरकार द्वारा 19 टोल प्लाजा को बंद करने का यह फैसला राज्य में एक नए, पारदर्शी और जन-समर्पित शासन का प्रतीक है। यह दिखाता है कि अगर सरकार के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो आम जनता को लूटने वाले "टोल माफिया" और भ्रष्ट तंत्र को खत्म किया जा सकता है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वह अपने वादों को पूरा करने और पंजाब के लोगों के पैसे की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह 225 करोड़ की सालाना बचत पंजाब के लोगों के विकास पर खर्च होगी, न कि निजी कंपनियों की तिजोरियों में जाएगी। यह कदम निस्संदेदह पंजाब के इतिहास में आम आदमी की सबसे बड़ी जीतों में से एक के रूप में याद रखा जाएगा।