'किसान बुरी तरह प्रभावित, बाढ़ पीड़ितों को तुरंत 20,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दे सरकार', प्रताप सिंह बाजवा ने की मांग
विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने बाढ़ प्रभावित किसानों को तत्काल 20000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को कागजी कार्रवाई में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि किसान पहले से ही बुरी तरह प्रभावित हैं। उन्होंने 800 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की भी मांग की और सरकार पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने राज्य सरकार से मांग की है कि बाढ़ से प्रभावित किसानों को तुरंत 20,000 प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए किसी भी प्रकार की गिरदावरी या आकलन की प्रतीक्षा नहीं की जानी चाहिए।
बाजवा ने सुझाव दिया कि शेष 30,000 प्रति एकड़ की राशि फसल नुकसान के सही आकलन के बाद दी जा सकती है, जिससे कुल मुआवजा पैकेज 50,000 प्रति एकड़ बन सके।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बाढ़ से तबाही इतनी व्यापक है कि कागजी कार्रवाई के नाम पर राहत में देरी करना किसानों के साथ अन्याय होगा। उन्होंने कहा कि पंजाब के खेत पानी और रेत के नीचे दबे पड़े हैं, और किसान बर्बादी के कगार पर हैं, जबकि सरकार उन्हें सर्वे का इंतजार करने को कह रही है। किसानों को आज तत्काल राहत चाहिए, न कि नौकरशाही के बहाने।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि लगभग 4 लाख एकड़ उपजाऊ ज़मीन बाढ़ की चपेट में आई है और किसानों को राहत देने में देरी आत्मघाती साबित हो सकती है। उन्होंने सरकार से 800 करोड़ की तात्कालिक राहत पैकेज की घोषणा करने की अपील की, क्योंकि यह किसानों के लिए जीवन रक्षक कदम होगा।
बाजवा ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की ओर से एसडीआरएफ के तहत जारी किए गए 1,582 करोड़ को पंजाब सरकार अब तक वितरित नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि सीएजी रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च 2023 तक राज्य के एसडीएफआर खाते में 9,041 करोड़ की राशि थी, लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान इस मुद्दे पर चुप हैं।
बाजवा ने आरोप लगाया कि यह धनराशि आम आदमी पार्टी ने विज्ञापनों और प्रचार पर खर्च कर दी। मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बाढ़ के बाद मान को प्रधानमंत्री से मिलकर पंजाब के लिए अतिरिक्त सहायता मांगनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
सरकार की कथनी और करनी पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री हरपाल चीमा, मंत्री अमन अरोड़ा और मुख्यमंत्री तीनों अलग-अलग बयान दे रहे हैं, जिससे जनता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
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