'केंद्र सरकार अपनी गलतियों का ठीकरा हम पर फोड़ रहा', शिवराज सिंह के अवैध खनन वाले बयान पर पंजाब सरकार का पलटवार
पंजाब सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान के अवैध माइनिंग वाले बयान का खंडन किया है। मंत्री बरिंदर गोयल ने कहा कि केंद्र अपनी गलतियों का ठीकरा पंजाब पर फोड़ रहा है। उन्होंने बीबीएमबी के चेयरमैन के बयान की भी आलोचना की और कहा कि हिमाचल में अधिक बारिश के कारण बांधों का जल स्तर बढ़ा। उन्होंने केंद्र सरकार से लंबित प्रस्तावों को मंजूरी देने का आग्रह किया।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान , जो दो दिन पहले पंजाब के बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा करने आए थे की ओर से दिए गए बयान कि पंजाब में बाढ़ कारण नदियों में हुई अवैध माइनिंग हैं पर पंजाब सरकार ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपनी गलतियों का ठीकरा हम पर फोड़ रहा है, ऐसी राजनीति करने का यह उचित समय नहीं है। सरकार ने बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी के बयान की भी आलोचना की।
जल स्रोत विभाग के मंत्री बरिंदर गोयल ने आज यहां मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि खुद बीबीएमबी ने माना है कि हिमाचल सहित अन्य क्षेत्रों में उम्मीद से कहीं ज्यादा बरसात होने के कारण बांधों का जल स्तर बढ़ा है लेकिन केंद्रीय मंत्री शिवराज चौहान बाढ़ के लिए नदियों में अवैध खनन को इसका कारण बता रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 1988 जब सर्वाधिक बड़ी बाढ़ा आई थी तब भी 11.20 लाख क्यूसिक पानी आया था लेकिन इस साल 14.11 लाख क्यूसिक पानी आया। जो बीस प्रतिशत आया । यही बाढ़ का बड़ा कारण है लेकिन केंद्रीय मंत्री रावी, ब्यास, सतलुज, घग्गर में गैर कानूनी माइनिंग को बाढ़ का कारण बता रहे हैं।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि चूंकि रावी नदी भारत पाकिस्तान के बीच है इसलिए वहां माइनिंग की अनुमति नहीं है। यह क्षेत्र तो बीएसएफ के कंट्रोल में आता है। वहां माइनिंग का सवाल ही नहीं उठता। इसी तरह ब्यास के क्षेत्र को भी में कंजरवेशन आफ फारेस्ट घोषित किया हुआ है। वन होने के कारण माइनिंग तो दूर की बात डिसिल्टिंग की इजाजत भी केंद्र सरकार के प्रवेश पोर्टल पर अप्लाई करने के बाद मिलती है।
हमने ऐसा किया था लेकिन केंद्र ने अनुमति ही नहीं दी। सतलुज में जो माइनिंग साइट्स हैं। उन्हें चिन्हित करके डीएसआर बनाकर एन्वायरमेंट क्लीयरेंस के लिए स्टेट एन्वायरमेंट इम्पेक्ट एसेसमेंट अथारिटी ने देनी होती है। घग्गर में माइनिंग की कोई साइट ही नहीं है।
मंत्री ने कहा कि नदियों के तटबंधों पर काम न करने का बयान भी केंद्रीय मंत्री ने दिया है। उन्होंने कहा कि कोई भी तटबंध नहीं टूटा,केवल दरिया के ओवरफ्ललो के कारण टूटे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार समय समय पर इसकी जानकारी केंद्र सरकार को देती रही है।
उन्होंने कहा कि सुखना झील से पानी छोड़ने के मामले में मंत्री ने कहा कि हमने 24 जुलाई को यूटी और हरियाणा के चीफ इंजीनियरों को पत्र लिखा कि पंजाब में अभी स्थिति ठीक है अगर वे कौशल्या और सुखना से पानी छोड़ना चाहते हो तो छोड़ सकते हो लेकिन तब इन्होंने नहीं छोड़ा।
उन्होंने पानी तब छोड़ा जब पंजाब में बाढ़ थी। इसीलिए आज घग्गर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के पास जो जो भी प्रस्ताव भेजे गए हैं वे सालों से लंबित हैं। मंत्री ने कहा कि भारत पाकिस्तान सीमा पर पड़ने वाली सीमा सुरक्षा बल की चौकियों को लेकर भी हमने 31 जुलाई 2023 को पत्र लिखकर कहा था कि इसके लिए वित्तीय सहायता की जरूरत है।
दो साल से हम 175.96 करोड़ मांग रहे हैं केंद्र सरकार देश की सुरक्षा के लिए भी पैसे नहीं दे रही है। इसी तरह ऊज्ज नदी जो मकोड़ा पत्तन के पास रावी मिलती है पर बैराज बनाने का प्रस्ताव एक साल से केंद्रीय जल आयोग के पास पड़ा है। लेकिन कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।
बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार तो पंजाब को अपने देश का हिस्सा ही नहीं मान रहा है। हमारा देहाती विकास फंड का सात हजार करोड़ बकाया पड़ा है। वहीं, रिलीज कर दें तो हमारी बड़ी मदद हो जाएगी। आपदा प्रबंधन के नियमों को बदलने के लिए हम कई बार कह चुके हैं। आज किसानों की 70 हजार रुपए प्रति एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है लेकिन नियमों में सिर्फ 15 हजार देने का प्राविधान। केंद्र सरकार हम पर आरोप लगाने की बजाए अपनी जिम्मेवारी को समझे।
बीबीएमबी के चेयरमैन के आरोपों जवाब देते हुए बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि बीबीएमबी को हमने चिट्ठी लिखी थी, जून महीने में हमें 29 हजार क्यूसिक पानी दे दे लेकिन उन्होंने 21607 हजार दिया। हर बात हम पर मढ़ देते हैं। अपनी जिम्मेवारी नहीं निभाते। आज के दिन जब पंजाब बाढ़ को झेल रहा है इस तरह की राजनीति करना सही नहीं है।
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