चंडीगढ: श्रीमद् भागवत कथा में ध्रुव की भक्ति और जड़ भरत के त्याग की गूंज, 'हरि बोल' से गूंजा माहौल
चंडीगढ़ में श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के तीसरे दिन विजय शास्त्री जी ने कर्दम मुनि-देवहुति संवाद, ध्रुव चरित्र और महात्मा जड़ भरत की कथाओं का वर्णन किया। उन्होंने भक्ति, दृढ़ संकल्प और संतों के त्याग पर प्रकाश डाला। 'ध्रुव नाम स्मरण' और 'हरि बोल' के जयघोष से वातावरण भक्तिमय रहा। कार्यक्रम में भंडारे का भी आयोजन किया गया।

श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कर्दम देव-हुति संवाद (फोटो: जागरण)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। श्री राधा वल्लभ धाम, सेक्टर 45 स्थित सब्जी मंडी ग्राउंड में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के तीसरे दिन श्रद्धेय श्री विजय शास्त्री जी ने भक्तों को कर्दम मुनि और माता देवहुति के दिव्य संवाद, राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव चरित्र तथा महात्मा जड़ भरत की प्रेरक कथा सुनाई।
कर्दम मुनि और देवहुति संवाद के माध्यम से शास्त्री जी ने बताया कि कैसे परमात्मा की भक्ति से ही जीवन में सच्चा संतुलन और शांति आती है। इसके बाद ध्रुव चरित्र में एक बालक की अटूट साधना और भगवान विष्णु की प्राप्ति का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि “अटल संकल्प और दृढ़ भक्ति से असंभव भी संभव हो जाता है।”
अंत में जड़ भरत की कथा में उन्होंने यह संदेश दिया कि संत कभी बाहरी रूप से नहीं पहचाने जा सकते, उनका जीवन गूढ़ ज्ञान और त्याग से भरा होता है। कथा के दौरान वातावरण “ध्रुव नाम स्मरण” और “हरि बोल हरि बोल” के जयघोष से गूंज उठा। सैकड़ों श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर कथा रस का आनंद लेते रहे।
मुख्य अतिथि के तौर पर समाज सेवक सरदार जगमोहन सिंह नेता आम आदमी पार्टी, उपस्थित रहे।कार्यक्रम के अंत में संगीतमय आरती एवं प्रसाद वितरण किया गया। कथा महोत्सव प्रतिदिन सायं 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक चल रहा है, जिसमें प्रतिदिन भंडारे की व्यवस्था भी की गई है।

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