वर्षों का संघर्ष आया काम, पीयू में गौरव के साथ एबीवीपी ने कायम की अब अपनी सरदारी
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने पंजाब विश्वविद्यालय छात्र काउंसिल के अध्यक्ष पद पर पहली बार जीत हासिल की है। यह सफलता कई वर्षों के संघर्ष का परिणाम है। पूर्व में एबीवीपी निचले पदों पर ही जीत पाती थी लेकिन इस बार गठबंधन के साथ अध्यक्ष पद पर भी परचम लहराया। एबीवीपी के कई नेताओं ने छात्र राजनीति से करियर शुरू किया और राष्ट्रीय राजनीति में चमके।

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुड़ी और पूर्व सांसद सत्यपाल जैन जैसे कई नेताओं ने भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़कर पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) से अपने राजनीतिक करिअर की शुरुआत की। लेकिन एबीवीपी ने वर्षों के संघर्ष और गौरववीर सोहल की लोकप्रियता के दम पर पहली बार अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज कर सरदारी कायम की।
पिछले चुनावों में एबीवीपी छात्र काउंसिल के निचले पदों पर तो चुनाव जीतने में कामयाब रही लेकिन अध्यक्ष पद पर छात्र- छात्राओं का विश्वास हासिल करने में असफल रही। कई बार तो राष्ट्रीय पार्टी की छात्र ईकाई एबीवीपी को दूसरे स्थानीय स्तर पर गठित छात्र संगठनों ने गठबंधन के तहत निचले पदों पर चुनाव लड़वाया।
पूसू और सोपू जैसे संगठनाें ने एबीवीपी को बोना बनाए रखा। एबीवीपी भाजपा का छात्र संगठन है और उनकी विरोधी कांग्रेस का एनएसयूआइ पीयू के छात्र काउंसिल के अध्यक्ष पद पर कब्जा करने में पहले ही कामयाब हो गई थी, लेकिन इस बार गुटबाजी के कारण करारी हार का सामना करना पड़ा।
एबीवीपी ने पिछले सालों में शुरूवाती दौर पर अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा तो उन्हें करारी हार का भी सामना करना पड़ा। इसके बावजूद कार्यकर्ता मेहनत में लगे रहे और पिछली साल के चुनाव में एबीवीपी की स्थिति हारने के बावजूद मजबूत रही।
साल 2000 से पहले यह भी हाल रहा था कि जमीनी हकीकत सबको पता होने के कारण एबीवीपी से कोई चुनाव लड़ने की भी हिम्मत नहीं करता था, लेकिन एबीवीपी के कई नेता शुरू से पीयू में अपनी स्थिति को मजबूत करने में लगे और छात्राओं के बीच सक्रिय रहे।
एबीवीपी से कई नेता ऐसे रहे हैं जिन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरूवात की और उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में भी चमकने का मौका मिला है। इनमें दिवगंज पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज का नाम भी शामिल है। इसके अलावा भाजपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुड़ी और पूर्व सांसद सत्यपाल जैन का नाम भी शामिल है ।
सुषमा स्वराज और सत्यपाल जैन पीयू के छात्र संघ के महासचिव भी रह चुके हैं। उस समय प्रत्यक्ष नहीं अप्रत्यक्ष तौर पर चुनाव होते थे। पूर्व सांसद सत्यपाल जैन बताते हैं कि आज उन्हें काफी खुशी हो रही कि एबीवीपी अपना अध्यक्ष बनाने में कामयाब रही। उन्होंने बताया कि साल 1973 में कालीदास बातीश एबीवीपी से महासचिव बने थे। उसके बाद साल 1974 में वह महासचिव बने, लेकिन उस समय अप्रत्यक्ष चुनाव होते थे।
जैन बताते हैं कि उन्होंने ही महासचिव रहते हुए प्रत्यक्ष तौर पर चुनाव करवाने का मुद्दा उठाया था ।जिसके बाद 1977 में पीयू में डायरेक्ट तौर पर छात्राओं द्वारा चुनाव होने लग गए उस समय एबीवीपी की ओर से अध्यक्ष पद पर केशव दत्त श्रीधर ने चुनाव लड़ा था जो कि 25 वोट से चुनाव हार गए थे ।उसके बाद इमरजेंसी लग गई और चुनाव होने बंद हो गए।
1998 में हुए प्रत्यक्ष चुनाव, देवेश बने ज्वाइंट सेक्रेटरी
साल 1998 में लंबे समय बाद पीयू में प्रत्यक्ष तौर पर चुनाव होने शुरू हुए उस समय एबीवीपी ने गठबंधन के तहत ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर चुनाव लड़ा। देवेश मोदगिल चुनाव जीत जो कि नगर निगम के पूर्व मेयर भी रह चुके हैं।
अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने की हिम्मत एबीवीपी ने साल 2002 में की। उस समय दीपक बलियान ने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और साल 2003 में सौरभ जोशी ने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा लेकिन पार्टी चुनाव हार गई।
सौरभ जोशी ने अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़कर अच्छी वोट हासिल की थी। शहर के कई नेता ऐसे हैं जिन्होंने चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन उन्होंने एबीवीपी को मजबूत करने का काम किया। इन नेताओं में पूर्व मेयर अरुण सूद और विनीत जोशी का भी नाम शामिल है।
सूद और जोशी ने एबीवीपी को मजबूत करने के लिए काफी संघर्ष किया था। इन दोनों नेताओं को भी आज जीत पर काफी खुशी हाे रही है। युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष महेश इंद्र सिद्धू ने भी पीयू में एबीवीपी में काम किया है ।
इस बार स्थानीय स्तर पर भी नेताओं के साथ बेहतर तालमेल
इस बार एबीवीपी की जीत में राष्ट्रीय स्तर से लेकर लोकल स्तर पर नेताओं की मदद मिली। एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान भी बैठक करने के लिए आए थे उन्होंने खुद चुनाव की गतिविधि पर नजर बनाई हुई थी इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी भाजपा के कई नेताओं और पार्षदों ने मदद की ।मेयर हरप्रीत कौर बबला ने भी मदद की।
मेयर हरप्रीत कौर बबला का कहना है कि खुशी है कि युवा मतदाताओं ने पीयू की मजबूती के लिए एबीवीपी को अध्यक्ष पद पर चुनाव जीताया। भाजपा के मीडिया कोआडिनेटर रवि रावत का कहना है कि युवाओं ने एबीवीपी की विचाराधारा पर अपना विश्वास जताया है ।
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