Punjab Flood: घर उजड़े और बंद स्कूल... पुस्तकें लौटा रहीं मासूम चेहरों की मुस्कान, 400 राहत कैंपों में पहुंचाई किताब
फाजिल्का में बाढ़ प्रभावित बच्चों के लिए यूनिस्टार पब्लिकेशन और अंजुमन टीम ने मिलकर मोबाइल लाइब्रेरी शुरू की है। राहत शिविरों में 400 किताबें बांटी गईं ताकि शिक्षा की लौ जलती रहे। यह पहल बच्चों को मानसिक तनाव से दूर रखने और उनमें उम्मीद जगाने का प्रयास है। शिविरों में खेल सामग्री भी उपलब्ध कराई गई है जिससे बच्चे नई चीजें सीख रहे हैं।

मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का। राहत कैंपों में ठहरी नन्हीं आंखों की उदासी को किताबों की खुशबू ने सहलाया है। बाढ़ से उजड़े घरों और बंद स्कूलों के बीच बच्चों के चेहरों पर फिर से मुस्कान लौटाने का जिम्मा अब शब्दों की दुनिया ने उठाया है।
फाजिल्का में यूनिस्टार पब्लिकेशन और अंजुमन टीम ने मिलकर एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसके तहत शिक्षक दिवस पर पब्लिकेशन के हरिश जैन के सहयोग और अंजुमन के संस्थापक ओ.पी. चावला के मार्गदर्शन से लगभग 400 किताबें राहत कैंपों तक पहुंचाई गईं।
मौजम राहत कैंप से शुरू हुआ यह कारवां अब रोजाना अन्य कैंपों तक भी पहुंचेगा, ताकि बाढ़ के बीच भी शिक्षा की लौ जलती रहे और हर किताब बच्चों के दिलों में उम्मीद का नया पन्ना खोल सके।
पिछले करीब 20 दिनों से फाजिल्का जिले के सरकारी स्कूलों में ताले जमे हुए हैं। सरहदी जिले के कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं और सैकड़ों लोग राहत कैंपों में दिन गुजार रहे हैं। बड़े-बुजुर्गों ने आपदा के ऐसे मंजर पहले भी देखे हैं, लेकिन नन्हें बच्चों के लिए यह समय बेहद कठिन है।
किताबों और स्कूल से दूर हुए बच्चे अब फोन और मनोरंजन से भी कट गए हैं। इस सन्नाटे को तोड़ने और शिक्षा की लौ जलाए रखने के लिए फाजिल्का में एक अनूठी पहल शुरू हुई है मोबाइल लाइब्रेरी। इस पहल का आगाज मौजम राहत कैंप से शनिवार को हुआ। रोजाना यह कारवां अन्य कैंपों तक पहुंचेगा, जहां बच्चों को किताबें भेंट की जाएंगी और शाम को उन्हें वापस इकट्ठा कर अगले स्थान तक ले जाया जाएगा।
लगभग 400 किताबों के इस खजाने में 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए बाल कहानियों से लेकर स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं, पंजाब के इतिहास, फौजियों की वीरगाथाओं और महान क्रांतिकारियों भगत सिंह, उधम सिंह समेत अन्य महापुरुषों पर आधारित साहित्य शामिल है।
बच्चों की उम्र और समझ के अनुरूप रोचक उपन्यास और कहानियां भी इसमें हैं। करीब 80 प्रतिशत किताबें पंजाबी भाषा में हैं, जबकि शेष हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध कराई गई हैं। इस प्रयास को अंजुमन टीम और यूनिस्टार पब्लिकेशन के सहयोग से आकार दिया गया है।
अंजुमन के संस्थापक ओपी चावला के मार्गदर्शन में फाजिल्का के निवासी इंजीनियर नवदीप असीदा सहित कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने हाथ बढ़ाकर राहत कैंपों तक किताबें पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। इस मोबाइल लाइब्रेरी का मकसद है कि मुश्किल हालातों में बच्चों का मनोबल बढ़े, वे मानसिक तनाव से दूर रहें और शिक्षा का प्रवाह थमे नहीं।
खेलों से सीखने की पहल
बच्चों का समय उपयोगी और रोचक बनाने के लिए विभिन्न संस्थाओं और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राहत कैंपों में खेल सामग्री भी उपलब्ध करवाई है। इन खेलों का उद्देश्य बच्चों को मानसिक तनाव से राहत देने के साथ-साथ उन्हें सीखने के नए तरीके सिखाना है।
इंडोर गेम्स से लेकर शैक्षिक खिलौनों तक, बच्चों के लिए अलग-अलग गतिविधियां तैयार की गई हैं। इन खेलों की मदद से बच्चे समूह में काम करना, नई चीजें सीखना और सकारात्मक सोच अपनाना सीख रहे हैं। इस पहल में समाजसेवी संस्थाओं और स्थानीय युवाओं का सहयोग अहम है, जो रोजाना बच्चों को खेल-खेल में नई चीजें सिखाने में जुटे हुए हैं।
बच्चों को मानसिक सुकून देने का बेहतरीन प्रयास: जगदीप अरोड़ा
मौजम राहत कैंप के इंचार्ज जगदीप अरोड़ा ने मोबाइल लाइब्रेरी की पहल को बेहद सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि बाढ़ जैसी कठिन परिस्थिति में घरों से दूर रह रहे बच्चों के मन पर गहरा असर पड़ता है। ऐसे समय में किताबों का सहारा न केवल उनके ज्ञान में वृद्धि करेगा, बल्कि मानसिक सुकून भी देगा।
अरोड़ा का कहना है कि यह कदम बच्चों को एक नई दुनिया से जोड़ता है, जहां वे न सिर्फ पढ़ाई में रुचि लेते हैं बल्कि अपने दुख-दर्द को भूलकर नई उम्मीद से आगे बढ़ना सीखते हैं।
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