सिख कौम मानवता की मिसाल, बाढ़ में रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे सैनिकों को मिल रही मां-बहन के हाथ की बनी रोटियां
गुरदासपुर के आलेचक्क गांव में बाढ़ पीड़ितों के लिए बचाव कार्य कर रहे सैनिकों के लिए 24 घंटे लंगर सेवा चल रही है। पूर्व सैनिक गुरप्रीत सिंह ने सैनिकों को रहने के लिए जगह दी है। गांव की महिलाएं लंगर तैयार कर रही हैं जिसका नेतृत्व रिटायर तहसीलदार मनजीत सिंह वालिया कर रहे हैं। विदेश में बसे ग्रामीण भी सहयोग कर रहे हैं।

संवाद सहयोगी, गुरदासपुर। सिख कौम ने हमेशा बहादुरी के साथ-साथ मानवता की मिसाल पेश की है। मुसीबत के समय में एकजुट होना और मददगार के लिए खड़े होना हर सिख के खून में है। इसी का उदाहरण गुरदासपुर जिले के गांव आलेचक्क में देखने को मिल रहा है। यह गांव आजकल बाढ़ पीड़ितों के लिए रेस्क्यू आपरेशन चला रहे सैनिकों की रिहायश बना हुआ है। सैनिकों को घर जैसी मां-बहन के हाथ की बनी रोटियां मिल रही हैं।
गांव के युवा व ग्रामीण रेस्क्यू ऑपरेशन में भी सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। गांव के पूर्व सैनिक गुरप्रीत सिंह ने अपनी जगह उपलब्ध करा रखी है। वह खुद भी रेस्क्यू आपरेशन करते हैं और इन सैनिकों की सेवा में भी जुटे हुए हैं। गांव के लोग रिटायर तहसीलदार मनजीत सिंह वालिया के नेतृत्व में 24 घंटे चलने वाले लंगर को तैयार करने में जुटे हुए हैं।
सारा लंगर गांव की महिलाओं की ओर से ही तैयार किया जाता है। रोजाना पूर्व सैनिक गुरप्रीत सिंह व गांव के युवक सैनिकों के साथ रेस्क्यू के लिए निकलते हैं और शाम को गांव लौटते हैं। पीछे सारा दिन राहगीरों के लिए भी लंगर व चाय की सेवा चलती रहती है। इस काम में गांव के कुछ विदेशों में रहने वाले लोग भी सहयोग कर रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।