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    होशियारपुर में कबाड़ की दुकानों बनी खतरा, त्योहारों में आग का डर; नगर निगम की नींद कब टूटेगी?

    Updated: Mon, 20 Oct 2025 01:09 PM (IST)

    होशियारपुर में रिहायशी इलाकों में कबाड़ की दुकानें खतरे का सबब बन रही हैं, पर नगर निगम प्रशासन बेखबर है। त्योहारों के मौसम में आग लगने का डर है, क्योंकि कबाड़ के गोदामों में विस्फोटक सामग्री भरी है। नियमों के खिलाफ, निगम की लापरवाही से दुकानें चल रही हैं। मेयर ने जल्द ही कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है, क्योंकि यह लोगों की सुरक्षा का मामला है।

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    नगर निगम की नींद गहरी, खतरे की घंटी बनी कबाड़ की दुकानें (प्रतीकात्मक फोटो)

    हजारी लाल, होशियारपुर। शहर के रिहायशी इलाकों में खुली कबाड़ की दुकानें इस समय खतरे की घंटी बन चुकी हैं, मगर नगर निगम प्रशासन अब तक गहरी नींद में सोया हुआ है। त्योहारों के मौसम में आगजनी की आशंका जहां पहले से ही बढ़ी रहती है, वहीं इन कबाड़ के अड्डों ने खतरे को और दोगुना कर दिया है।

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    नियमों के अनुसार रिहायशी इलाकों में कबाड़ की दुकानें खोलना पूरी तरह प्रतिबंधित है, लेकिन नगर निगम की लापरवाही के चलते शहर के कई मोहल्लों में यह व्यवसाय खुलेआम चल रही है। लोहे, गाड़ियों के पार्ट्स, पुराने सिलेंडरों और बारूद के खाली खोलों से भरे ये गोदाम किसी भी वक्त विस्फोट या आग की बड़ी घटना का कारण बन सकते हैं।

    कुछ वर्ष पहले भंगी चोअ क्षेत्र में कबाड़ की दुकान में लोहा तोड़ते समय धमाका हुआ था, जिसमें तीन लोगों की मौत और दो गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हादसे के बाद भी नगर निगम ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। नतीजा यह है कि वही हालात आज भी कायम हैं। प्रशासन का यह रवैया आने वाले समय में किसी बड़ी अनहोनी को दावत दे सकता है।

    दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाली चिंगारियां इन कबाड़ की दुकानों में आग का रूप ले सकती हैं। कुछ साल पहले मोहल्ला बहादुरपुर में आतिशबाजी की चिंगारी से कबाड़ की दुकान में लगी आग ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी थी। धमाके से घर की छत और दीवारें तक उड़ गईं थीं। उस समय स्थानीय निवासियों की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया, लेकिन वह घटना इस बात की गवाही देती है कि ऐसे इलाकों में कबाड़ की दुकानें किसी भी समय बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं।

    कबाड़ी अक्सर ट्रेनिंग कैंप या औद्योगिक इलाकों से प्रयोग किए हुए बारूद के खाली खोल या मोटार लाकर तोड़ते हैं। कई बार इनमें जीवित विस्फोटक शेल भी मिल जाते हैं, जो हादसे को जन्म देते हैं। बावजूद इसके, प्रशासनिक स्तर पर न तो सर्वे किया गया और न ही किसी ठोस एक्शन प्लान पर काम हुआ।

    नगर निगम होशियारपुर के मेयर सुरिंदर कुमार छिंदा ने कहा कि “रिहायशी और घने बाजारों में चल रही कबाड़ की दुकानों को जल्द ही चिन्हित कर बाहर शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह लोगों की सुरक्षा से जुड़ा संवेदनशील मामला है, इसमें किसी प्रकार की ढील नहीं बरती जाएगी।” उन्होंने बताया कि निगम जल्द ही सर्वे करवाकर इन दुकानों पर नियमानुसार कार्रवाई करेगा।

    नगर निगम होशियारपुर के मेयर सुरिंदर कुमार छिंदा ने कहा कि रिहायशी इलाके में चल रही कबाड़ की दुकानों को बाहर भेजने पर विचार किया जाएगा। जल्द ही इस पर एक्शन प्लान तैयार होगा क्योंकि घने बाजारों व रिहायशी इलाकों में कबाड़ की दुकानें खरतनाक साबित हो सकती हैं। यह लोगों की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। इसमें किसी भी प्रकार की ढील नहीं बरती जाएगी। कबाड़ की दुकानों का सर्वे करवाकर उचित कदम उठाया जाएगा।