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    जालंधर में फसलों की कटाई के बाद बढ़ रहा प्रदूषण, शहर में छह हजार व हर गांव में 450 पेड़ लगाने की जरूरत

    By Edited By:
    Updated: Mon, 18 Apr 2022 08:35 AM (IST)

    फसलों की कटाई और अवशेषों को आग लगाने के मामलों से एक बार वायु प्रदूषण बढ़ने लगा है। इससे दमा और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। ग्रीन एरिया की कमी के कारण हालात में कोई सुधार नहीं आ रहा।

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    जालंधर में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण पेड़ लगाने की जरूरत है।

    जगजीत सिंह सुशांत, जालंधर। फसलों की कटाई और अवशेषों को आग लगाने के मामलों से एक बार वायु प्रदूषण बढ़ने लगा है। रविवार शाम 5 बजे शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 163 था। यह इंडेक्स सेहत के लिए खराब माना जाता है। फसलों की कटाई और कटाई के बाद खेतों में बचे हुए अवशेषों को आग लगाने के कारण हर साल इन दिनों में हवा की गुणवत्ता बिगड़ती है। इससे दमा और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। ग्रीन एरिया की कमी के कारण हालात में कोई सुधार नहीं आ रहा।

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    पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से इसको लेकर सर्वे करवाया गया है। सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार शहर में तय मानकों के आधा भी ग्रीन एरिया नहीं है। बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बड़े स्तर पर पेड़ लगाने की जरूरत हैं। रिपोर्ट के अनुसार शहर में 6000 नए पेड़ लगाए जाने की जरूरत है। अभी इसकी जिम्मेदारी नगर निगम के अधीन है और उसका काम सुस्त रफ्तार ही चल रहा है। ड्रेन के किनारे भी 2400 पेड़ लगाने की आदेश दिए गए है लेकिन वे नहीं लगाए गए। जहां-जहां पौधारोपण भी किया जा रहा है वहां पर इसकी देखरेख नहीं हो रही और पेड़ बनने से पहले ही पौधे दम तोड़ देते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में हर पंचायत क्षेत्र के लिए जरूरी है कि इलाके में 1000 पेड़ हों। अभी सर्वे के मुताबिक सिर्फ 550 पेड़ हैं और 450 पेड़ हर गांव में या पंचायत एरिया में लगाए जाने जरूरी हैं।

    पंजाब पाल्यूषण कंट्रोल बोर्ड के पास वायु प्रदूषण रोकने की जिम्मेवारी है। उसके अनुसार शहरी इलाकों में इसके लिए काफी प्रयास किए गए हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में नतीजे आने में अभी समय लग सकता है। शहरी इलाकों में इंडस्ट्री भी प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में योगदान दे रही है। यहां प्रदूषण फैलाने का कारण बन सकने वाली 912 इंडस्ट्री ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए नई तकनीक भी अपनाई और एयर क्वालिटी की मानिट¨रग भी कर रहे हैं। नगर निगम और पंचायतें गंभीर नहीं डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान में वायु प्रदूषण पर विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें प्रदूषण के प्रमुख कारण बताए गए हैं तो इसकी मानिट¨रग के लिए किए जा रहे उपायों को भी बताया गया है। रिपोर्ट में शहरों में बाजारों, इंडस्ट्री और हाइवे को वायु प्रदूषण का कारण बताया गया है। इसकी मानिट¨रग के लिए दो नए आटोमेटिक एयर क्वालिटी मानिटरिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। देहात में ईंट भट्टों पर एक्शन लिया जा रहा है तो किसानों को फसलों के अवशेष ना जलाने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है और मशीनरी भी उपलब्ध करवाई जा रही है। शहरी और देहाती इलाकों में पेड़ लगाने का भी नया लक्ष्य तय किया गया है लेकिन इसे लेकिन शहरों में नगर निगम और देहात में पंचायतें गंभीर नजर नहीं आ रहीं। शहरों में मलबा भी वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है।

    अब तक किए गए प्रयासों की जमीनी हकीकत, 32 ईंट भट्टे बंद करवाए, 87 पर कार्रवाई जारी

    जालंधर में प्रदूषण फैलाने में ईट भट्टों की भूमिका सबसे अधिक है। जिले में 204 ईट भट्टे हैं। इनमें से 35 अब बंद किए जा चुके हैं क्योंकि यह प्रदूषण रोकने के लिए जरूरी इंतजाम नहीं कर पाए। 82 में एयर क्वालिटी खराब होने से बचाने के लिए नई तकनीक इस्तेमाल की गई है। 87 ईंट भट्टे अभी भी ऐसे हैं जहां पर वायु प्रदूषण रोकने के नियम नहीं अपनाए जा रहे और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड इन्हें बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। कार्रवाई पूरी होने में लंबा समय लग सकता है। इंडस्ट्री में प्रदूषण रोकने के लिए पर्याप्त प्रबंध 912 इंडस्ट्री ऐसी है जो वायु प्रदूषण का कारण बन सकती थी लेकिन इन सभी ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए जरूरी तकनीक और मानिट¨रग सिस्टम अपना दिया है। इनमें 155 बायलर, 311 इंडक्शन, 98 फाउंड्री, 33 फोर्जिंग इंडस्ट्री, 25 लीड स्मे¨ल्टग, 12 हॉट मि¨क्सग प्लांट शामिल है जबकि 112 राइस मिल्स में भी वायु प्रदूषण रोकने के इंतजाम किए गए हैं।

    खेतों में मशीनरी उपलब्ध करवाने पर जोर

    वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों के अवशेषों को आग लगाना है। जालंधर में 1.72 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की बिजाई होती है और 1.73 लाख फैक्टर पर गेहूं की बिजाई होती है। कटाई के बाद फसलों के अवशेष खत्म करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कम होता है इसलिए ज्यादातर छोटे किसान अपने खेतों में आग लगा देते हैं। इसके लिए सरकार किसानों को मशीनरी उपलब्ध करवाने की कोशिश कर रही है। इसमें काफी सफलता भी मिली है लेकिन अभी बड़ा काम बाकी है। सर्वे के मुताबिक अभी 30 करोड़ से और मशीनरी किसानों को उपलब्ध करवाई जाएगी। 31 अक्टूबर 2023 तक किसानों को सब्सिडी और कर्ज के जरिए मशीनरी उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन छोटे किसानों के लिए इसे अपनाना काफी कठिन हो रहा है। 

    जिले में खराब हवा के हाट स्पाट

    फोकल प्वाइंट - इंडस्ट्रीयल जोन - मेन मार्किट्स - कामर्शियल जोन - नेशनल हाईवे - फगवाड़ा से शहर में प्रवेश मार्ग - स्टेट हाईवे - शहर का नार्थ एरिया ये प्रयास किए जाएंगे दो नए आटोमेटिक एयर क्वालिटी मानिटरिंग स्टेशन बनेंगे : सर्किट हाउस में चल रहा है, बाकी दो के लिए जगह तय नहीं - मैन्युअल एयर क्वालिटी मानिटरिंग सिस्टम : फोकल प्वाइंट इंडस्ट्रीयल जोन, इएसआइ अस्पताल सेंसटिव जोन, निगम आफिस कमर्शियल जोन, मैनब्रो चौक रिहायशी जोन - माइक्रो लेवल प्ला¨नग होगी। - एप बनाई जा रही है जिस पर लोग शिकायत कर सकेंगे।