सुबह-शाम वॉक पर जाना पसंद है तो हो जाएं सावधान, डॉक्टरों ने दी सख्त चेतावनी; सर्दी बन रही सेहत के लिए खतरा
मौसम में बदलाव के साथ ठंड बढ़ने से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। डॉक्टर सुबह और शाम को सैर करने से बचने की सलाह दे रहे हैं, खासकर अस्थमा, सीओपीडी, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप के रोगियों को। ठंड में फेफड़ों की नाड़ियों में सिकुड़न आने से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। सुबह की बजाय धूप निकलने पर या शाम को सैर करना बेहतर है। बच्चों और बुजुर्गों का खास ध्यान रखें।

डॉक्टरों की बीमार लोगों को सुबह-शाम की सैर से बचने की सलाह (प्रतीकात्मक फोटो)
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब। जैसे जैसे मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। वैसे ही बढ़ती ठंड ने लोगों की सेहत पर सीधा असर डालना शुरू कर दिया है। खासकर वे लोग जो सुबह अंधेरे में वाक को हेल्दी रूटीन मानते हैं।
इस मौसम में अनजाने में अपनी सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। शहर के अस्पतालों में नवंबर माह की शुरूआत से ही अचानक तबीयत बिगड़ने वाले मरीज भी पहुंच रहे हैं।
इन मरीजों में ज्यादातर अस्थमा, सीओपीडी, हार्ट डिजीज, हाई बीपी के रोगी और बुजुर्ग शामिल हैं, जिनकी हालत सुबह वाक के तुरंत बाद खराब होने की शिकायत देखी गई।
डाक्टरों का स्पष्ट कहना है कि इस मौसम में सुबह बहुत जल्दी घर से निकलना दिल और फेफड़ों के लिए जोखिम भरा है, इसलिए सावधानी ही बचाव है। सर्दी में सुबह की सैर के फायदे और नुकसान दोनों हैं।
अगर आप स्वस्थ हैं और सावधानी बरतते हैं तो आप सर्दी में भी सैर कर सकते हैं। लेकिन अगर आपको कोई बीमारी है या आपको सर्दी से ज्यादा परेशानी होती है तो डाक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
साथ ही, आप चाहें, तो घर के अंदर रहकर भी एक्सरसाइज या योग कर सकते हैं। सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार के मुताबिक ठंड में तड़के वाक करने से फेफड़ों की नाड़ियों में सिकुड़न आ जाती है।
इससे श्वास नली टाइट हो जाती है,आक्सीजन का प्रवाह कम होता है और अस्थमा, हार्ट, सीओपीडी और बीपी मरीजों में दिक्कत तेजी से बढ़ती है। लंग्स, अस्थमा, सीओपीडी और हार्ट की समस्या वाले मरीजों की नाड़ियां ठंड में सिकुड़ने लगती हैं।
ऐसे मरीज चेस्ट पेन, सांस की तकलीफ, खांसी बढ़ने और चक्कर आने जैसे लक्षणों के साथ आ रहे हैं। सुबह जल्दी वाक की बजाय हल्की धूप आने या शाम में वाक करें। इससे शरीर तापमान के अनुकूल रहता है।
बाकी बदलते मौसम के बीच खास कर छोटे बच्चों व बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें ताकि उनको बीमार होने से बचाया जा सके और स्वस्थ रखा जाए।

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