पटियाला में पावरकॉम मुख्यालय पर इंजीनियरों का प्रदर्शन, निलंबन और निजीकरण का जताया विरोध
पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इंजीनियर्स एसोसिएशन ने पावरकॉम मुख्यालय में डायरेक्टर फाइनेंस के दफ्तर में धरना दिया। यह विरोध गुरु गोबिंद सिंह सुपर थर्मल प्लांट के चीफ इंजीनियर के निलंबन और बिजली संशोधन विधेयक 2025 के खिलाफ है। एसोसिएशन ने पावरकॉम की संपत्तियों को बेचने और राजनीतिक हस्तक्षेप का भी विरोध किया, चेतावनी दी कि ऐसा न होने पर वे आंदोलन तेज करेंगे।
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पावरकॉम इंजीनियरों ने डायरेक्टर, फाइनांस के दफ्तर के भीतर ही लगाया धरना।
जागरण संवाददाता, पटियाला। पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (पीएसईबी ) इंजीनियर्स एसोसिएशन का पावरकाम मैनेजमेंट और पंजाब सरकार के साथ टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी घटनाक्रम में आज तब नया मोड़ आया जब पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने यहां पावरकाम मुख्यालय में डायरेक्टर फाइनांस सुरिंदर कुमार बेरी के दफ्तर के भीतर ही धरना लगा दिया। इस दौरान एसोसिएशन के सदस्य डायरेक्टर, फाइनांस के दफ्तर के फर्श पर ही बैठ गए।
बता दें कि इंजीनियर्स एसोसिएशन पावरकाम मैनेजमेंट द्वारा गुरु गोबिंद सिंह सुपर थर्मल प्लांट, रोपड़ के चीफ इंजीनियर इंजी. हरीश शर्मा को निलंबित करने और पंजाब सरकार द्वारा पावरकाम के डायरेक्टर जनरेशन इंजी. हरजीत सिंह को हटाने के तरीके पर पिछले दिनों से लगातार नाराजगी व्यक्त करती आ रही है।
डायरेक्टर फाइनांस के दफ्तर के भीतर ही धरना लगाए जाने की जानकारी देते हुए इंजीनियर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी इंजी. अजयपाल सिंह अटवाल ने बताया कि जिस तरह से उपरोक्त दोनों इंजीनियरों को प्रबंधन ने आधारहीन और गैर-तकनीकी तथ्यों के आधार पर दोषी ठहराया है, वह सही नहीं है। इंजीनियरों ने बिजली संशोधन विधेयक 2025 और बिजली क्षेत्र की संपत्तियों को बेचने के प्रयास का भी कड़ा विरोध किया है।
उन्होंने कहा कि उक्त दोनों इंजीनियरों पर लगाए गए आरोप, जिनमें लगभग 35-40 वर्ष पूर्व स्थापित तथा पुरानी सब-क्रिटिकल तकनीक पर आधारित थर्मल प्लांटों की तुलना नवीनतम सुपर-क्रिटिकल तकनीक वाले निजी थर्मल प्लांटों से की गई थी, निराधार आरोप हैं कि सरकारी थर्मल प्लांटों में ईंधन लागत (कोयला लागत) 0.75 से 1.25 रुपये प्रति यूनिट की दर से अधिक है, जबकि विभाग के पावर परचेज एंड रेगुलेशन विंग द्वारा जारी किए जाने वाले थर्मल प्लांटों के सितंबर-2025 माह के दौरान संचालन के लिए मेरिट ऑर्डर डिस्पैच (एमओडी) के अनुसार नई तकनीक पर आधारित निजी थर्मल प्लांट तलवंडी साबो की बिजली उत्पादन लागत 3.77 रुपये प्रति यूनिट तथा पुरानी सब-क्रिटिकल तकनीक पर आधारित गोइंदवाल साहिब और रोपड़ में स्थापित सरकारी थर्मल प्लांटों की बिजली उत्पादन लागत 3.81 रुपये प्रति यूनिट तथा 3.91 प्रति यूनिट है, जिसके अनुसार वास्तविक अंतर मात्र 04 से 14 पैसे का है।
परन्तु उपरोक्त घटनाक्रम से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रबंधन और सरकार केवल इंजीनियरों में भय और दहशत का माहौल पैदा करना चाहती है और एक गुप्त एजेंडे के तहत पावरकाम और ट्रांसको की ज़मीनों को कार्पोरेट्स को बेचना चाहती है। इसके अलावा, पावरकाम के तकनीकी कार्यों और खरीद प्रक्रियाओं में अनावश्यक राजनीतिक हस्तक्षेप किया जा रहा है, जिससे पावरकाम की अटोनोमी प्रभावित हो रही है और विभाग के कार्यों के संबंध में निर्णय लेने के लिए अधिकृत निदेशक मंडल की शक्तियों पर नियंत्रण हो रहा है, जिससे पीएसपीसीएल की कार्यक्षमता प्रभावित होगी।
इंजीनियर्स एसोसिएशन इससे पहले भी कह चुकी है कि मैनेजमेंट व सरकार द्वारा इंजीनियरों में भय व दहशत पैदा करने के लिए अपनाई जा रही साजिशों का जवाब दिया जाएगा तथा यदि पावरकाम की संपत्तियों को बेचने, विभाग की स्वायत्तता को कमजोर करने तथा अनावश्यक राजनीतिक हस्तक्षेप व गुप्त एजेंडों को लागू करने की सरकार की कोशिशों को तुरंत नहीं रोका गया तो इसके जवाब में पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन संघर्ष और तेज करेगी।

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