रूपनगर: कुत्तों से बचने के लिए पेट्रोल पंप में घुसी मादा सांभर, टफन ग्लास से टकराने से मौत
नंगल में एक दुखद घटना में एक मादा सांभर की आवारा कुत्तों से बचने के प्रयास में पेट्रोल पंप के टफन ग्लास से टकराकर मौत हो गई। इस घटना ने वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों ने सरकार से जंगली जानवरों के शहर में प्रवेश को रोकने के लिए बेहतर सुरक्षा उपाय करने की मांग की है, जिसमें बैरियर लगाना और आवारा कुत्तों को नियंत्रित करना शामिल है।

रूपनगर: मादा सांभर की दर्दनाक मौत। फाइल फोटो
सुभाष शर्मा, नंगल। नंगल डैम झील के सुंदर तट पर स्थित नंगल शहर ने एक बार फिर एक दुखद घटना का सामना किया, जहां एक भटकती मादा सांभर की मौत ने वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था की वास्तविकता को उजागर किया है।
इससे पहले भी नंगल में कई जंगली जानवर नहरों में गिरकर, सड़कों पर भटककर या शिकारियों के हाथों अपनी जान गंवा चुके हैं। बीती रात की यह घटना स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है। जानकारी के अनुसार मादा सांभर नंगल ट्रक यूनियन के निकट पहुंची और अचानक आवारा कुत्तों के झुंड से घिर गई।
घबराई हुई सांभर ने अपनी जान बचाने के लिए पास के पेट्रोल पंप की ओर दौड़ लगाई। तेज रफ्तार में दौड़ती सांभर पेट्रोल पंप के एंट्री प्वाइंट पर लगे टफन ग्लास से इतनी जोर से टकराई कि गंभीर चोट के कारण उसकी सांसें थम गईं।
पेट्रोल पंप के कर्मचारियों ने तुरंत वन्य प्राणी विभाग को सूचित किया, लेकिन गहरे जख्म और भारी रक्तस्राव के कारण सांभर को बचाया नहीं जा सका।
यहां यह उल्लेखनीय है कि पेट्रोल पंप के अंदर सांभर के घुसने से पहले ही वहां सोने जा रहा एक कर्मचारी कुछ समय के लिए बाहर गया था, अन्यथा उसकी जान भी जा सकती थी। वन्य प्राणी विभाग की टीम मौके पर पहुंची और औपचारिकताएं पूरी कीं।
सांभर का नियमों के अनुसार किया गया संस्कार
विभाग के स्थानीय ब्लाक अधिकारी नरेंद्र प्रीत सिंह ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद सांभर का नियमों के अनुसार संस्कार कर दिया गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि कम मैनपावर और वाहनों की कमी के कारण चुनौतियां बढ़ गई हैं, लेकिन विभाग के कर्मचारी अपनी पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जैसे ही आवश्यक संसाधन उपलब्ध होंगे, गश्त और निगरानी को और मजबूत किया जाएगा। शिकारियों की सक्रियता के बारे में पूछे जाने पर ब्लाक अधिकारी ने कहा कि शिकारी अक्सर हथियारबंद होते हैं, जबकि वन्य प्राणी विभाग के पास हथियारों की कोई व्यवस्था नहीं है। फिर भी, रात के समय गश्त जारी रखकर स्थिति को संभाला जा रहा है।
वन्य प्राणियों और शहरवासियों को कैसे मिले सुरक्षा
वन्य प्राणियों की दर्दनाक मौत के बाद एक बार फिर सुरक्षा प्रबंधों की कमी चर्चा का विषय बन गई है। शहरवासी चाहते हैं कि सरकार जल्द से जल्द आवश्यक इंतजाम करे। जंगली जानवरों के शहर में प्रवेश करने वाले मार्गों को सुरक्षित बैरियर से घेरने और वैकल्पिक रास्ते विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि जानवर आबादी वाले इलाकों में न भटकें।
कई हादसों की जड़ आवारा कुत्ते हैं, इसलिए नगर परिषद को कुत्तों की नसबंदी और नियंत्रण अभियान को प्राथमिकता देनी चाहिए। रात्रि कालीन गश्त को प्रभावी बनाने के लिए पर्याप्त वाहन, हाई-ल्यूमेन टार्च, ड्रोन कैमरे और वायरलेस कम्युनिकेशन की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त गश्त बढ़ाकर हथियार लेकर घूमने वाले शिकारियों पर शिकंजा कसा जाना चाहिए। नंगल क्षेत्र वन्य जीवों का मुख्य आश्रय बन चुका है, जहां कैमरा ट्रैप, नियमित गश्त और निगरानी बेहद जरूरी है।

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