रूपनगरः आईआईटी का 'संपन्न' एप रख रहा शिशुओं और माताओं के पोषण ध्यान, ऐसे करता है काम
पंजाब में रूपनगर जिला प्रशासन ने इस एप की अहमियत को ध्यान में रखते हुए इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू करने का फैसला लिया था। अब डेढ़ साल बाद इसके ...और पढ़ें

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर। स्वस्थ समाज की अवधारण को पुष्ट करने के लिए माताओं और शिशुओं की सेहत और पोषण का ध्यान रखना अतिमहत्वपूर्ण है।
देश के कोने-कोने में इसी भाव से सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है, लेकिन पंजाब में रूपनगर के जिला प्रशासन और आईआईटी रोपड़ ने मिलकर इस कार्य को आधुनिक तकनीक की सहायता से सुगम और व्यवस्थित बना दिया है।
इस कारण जिले के आंगनबाड़ी केंद्र जच्चा-बच्चा की देखभाल में पारंपरिक तौर-तरीकों से आगे निकल चुके हैं। ऐसा संभव हुआ है आईआईटी रोपड़ द्वारा तैयार 'संपन्न' नामक मोबाइल एप से।
इससे आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को दी जाने वाली पोषण की खुराक के साथ ही गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को दिए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों की जानकारी भी एकत्र की जा रही है। जहां कमी मिलती है, वहां तत्काल जिला प्रशासन द्वारा सुधार किया जाता है।
सामने आ रहे बेहतर परिणाम
रूपनगर जिला प्रशासन ने एप का महत्व समझते हुए इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू कराने का निर्णय किया। लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व शुरू हुए इस प्रोजेक्ट के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।
एप से डिजिटल प्लेटफार्म पर हर प्रकार की खुराक की जानकारी उपलब्ध होने से न सिर्फ सभी आंगनबाड़ी कर्मियों को सुविधा होती है, अपितु उनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता भी आ रही है।
संयुक्त प्रयास
आईआईटी रोपड़ की टीम ने जिला प्रशासन के सहयोग से यह मोबाइल एप तैयार किया है। आईआईटी के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग के सहायक निदेशक डायरेक्टर डॉ. पुनीत गोयल के नेतृत्व में युवा विज्ञानियों की टीम ने एप को इस तरह विकसित किया है कि आंगनबाड़ी कर्मी आसानी से इसका उपयोग कर सकें।
इसका ही परिणाम है कि एप का प्रयोग जिला रूपनगर के 872 आंगनबाड़ी केंद्रों में लगभग 1,200 आंगनबाड़ी कर्मियों वर्कर द्वारा किया जा रहा है।
पोषण का ध्यान रखने के साथ ही एप के माध्यम से जच्चा-बच्चा से संबंधित योजनाएं लागू करने, इनसे जुड़े आंकड़ों की गणना करने और उनका अध्ययन करने का कार्य भी सरल तरीके से किया जा रहा है।
समय-समय पर निगरानी भी
रूपनगर की डिप्टी कमिश्नर डा. प्रीति यादव कहती हैं कि एप को पूरे जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया है।
एप के इस्तेमाल का निरीक्षण समय-समय पर आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर किया जाता है। केंद्रों की कार्यप्रणाली में पहले से ज्यादा पारदर्शिता आई है।
एप से पूरे देश में छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को दी जाने वाली सुविधाओं की रियल टाइम मानीटरिंग की जा सकती है। यह केंद्र सरकार के पोषण अभियान को और बेहतर ढंग से लागू करने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। - प्रो. राजीव आहुजा, निदेशक, आईआईटी रोपड़

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