Dev Uthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी पर इन कार्यों से बनी रहेगी प्रभु श्रीहरि की कृपा
इस साल 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत किया जा रहा है। इसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। देवउठनी एकादशी को एक अबूज मुहूर्त के रूप में भी देखा जाता है, क्योंकि इस तिथि पर शुभ तिथि देखे बिना भी विवाह आदि किए जा सकते हैं। ऐसे में अगर आप प्रभु श्रीहरि के कृपा पात्र बनना चाहते हैं, तो इस दिन पर ये विशेष कार्य जरूर करें।

Dev Uthani Ekadashi 2025 प्रभु श्रीहरि की कृपा प्राप्ति के उपाय।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवउठनी एकादशी को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह वह तिथि है जब प्रभु श्रीहरि 4 माह बाद पुनः योग निद्रा से जागते हैं। इसी के बाद से विवाह जैसे शुभ कार्यों शुरू हो जाते हैं। इस दिन देवताओं को निद्रा से जगाने के लिए विशेष रूप से पूजा-अर्चना भी जाती है। अगर आप देवउठनी एकादशी के दिन ये कार्य करते हैं, तो इससे आपको अपने जीवन में शुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
जरूर करें ये काम
एकादशी के दिन व्रत जरूर करना चाहिए। आप अपनी श्रद्धा के अनुसार, निर्जला व्रत भी कर सकते हैं। इस दिन पर भगवान विष्णु के भोग में तुलसी जरूर शामिल करें, क्योंकि उसके बिना प्रभु श्रीहरि का भोग अधूरा माना गया है।
साथ ही एकादशी की शाम को घर के प्रवेश द्वार और तुलसी के पास घी का दीपक जलाने से भी आपको शुभ परिणाम मिल सकते हैं। इसके साथ ही देवउठनी एकादशी व्रत के पारण करने के बाद ब्राह्मण को अपनी क्षमता के अनुसार, दान-दक्षिणा भी जरूर दें।
-1761805459553.jpg)
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
करें इन चीजों का दान
देवउठनी एकादशी के दिन आप अन्न, गुड़, वस्त्र, और मौसमी फलों जैसे गन्ना, सिंघाड़ा व शकरकंद आदि का दान कर सकते हैं, जो काफी शुभ माना गया है। इसके साथ ही इस दिन पर धन व पीले रंग के वस्त्रों का दान करना भी उत्तम माना गया है। इस दिन किए गए दान से साधक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
कृपा प्राप्ति के मंत्र
1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
2. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
3. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

रखें इन बातों का ध्यान
एकादशी के दिन आपको इस बात का ध्यान विशेष रूप से रखना चाहिए कि इस दिन पर तुलसी में जल अर्पित न करें। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन माता तुलसी, भगवान विष्णु के निमित्त निर्जला व्रत करती हैं। इसके साथ ही भगवान विष्णु के भोग में शामिल करने के लिए आप एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख सकते हैं।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।