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    Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी पर बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, इन लोगों की चमकेगी फूटी किस्मत

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 05 Jun 2025 08:31 PM (IST)

    महाभारत काल में गदाधारी भीम भी निर्जला एकादशी का व्रत (Nirjala Ekadashi 2025 Yoga) रखते थे। इसके लिए निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इसके लिए बड़ी संख्या में भक्तजन निर्जला एकादशी के दिन व्रत रख चराचर के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

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    Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। इस व्रत की महिमा शास्त्रों में विस्तारपूर्वक वर्णित है। कहते हैं कि एकादशी व्रत करने से साधक को न केवल भूलोक, बल्कि परलोक में भी ऊंचा स्थान मिलता है। इसके लिए न केवल मानवजन, बल्कि ऋषि-मुनि और देवगण भी एकादशी के दिन श्रीहरि की उपासना करते हैं।

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    सनातन शास्त्रों में निहित है कि एकादशी व्रत करने से साधक को जन्म-जन्मांतर में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही भूलोक यानी पृथ्वी पर सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साधक श्रद्धा भाव से एकादशी के दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं।

    ज्योतिषियों की मानें तो निर्जला एकादशी के दिन कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इसके साथ ही ग्रहों का भी महासंयोग बन रहा है। इससे भक्तजन का मंगल ही मंगल होगा। सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाएंगे। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं।

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    निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त (Nirjala Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 06 जून को देर रात 02 बजकर 15 मिनट पर एकादशी तिथि की शुरुआत होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसके लिए 06 जून को निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का समापन 07 जून को सुबह 04 बजकर 47 मिनट पर होगा। अतः वैष्णव जन 07 जून को निर्जला एकादशी मनाएंगे।

    निर्जला एकादशी योग (Nirjala Ekadashi 2025 Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो निर्जला एकादशी के दिन भद्रावास और वरीयान योग का दुर्लभ संयोग है। वरीयान योग का संयोग सुबह 10 बजकर 14 मिनट से है, जो रात भर है। वहीं, भद्रा का संयोग दोपहर 03 बजकर 31 मिनट से है। भद्रावास योग भी रात भर है। इस समय में भद्रा पाताल में रहेंगी। वहीं, हस्त और चित्र नक्षत्र का संयोग में वणिज करण का निर्माण हो रहा है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को सभी शुभ कामों में सफलता मिलेगी।  

    ग्रहों का महासंयोग (Nirjala Ekadashi 2025 Planet Transit)

    निर्जला एकादशी के दिन बुध देव और चंद्र देव राशि परिवर्तन करेंगे। बुध देव मिथुन राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में पहले से गुरु विराजमान हैं। अतः बुध और गुरु की युति बनेगी। शुक्र और शनिदेव मीन राशि में उपस्थित हैं। यहां शुक्र और शनि की युति है। सूर्य देव वृषभ राशि में हैं। ग्रहों के संयोग से कई राशि के जातकों को लाभ देखने को मिल सकता है। ये राशियां वृषभ और मिथुन हैं। इन राशियों पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसेगी। इसके साथ ही कई अन्य राशियों की तकदीर भी निर्जला एकादशी के दिन चमक सकती है।

    पंचांग (Nirjala Ekadashi 2025 Panchang)

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर
    • चन्द्रास्त- देर रात 02 बजकर 27 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 12 बजे से 12 बजकर 40 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।