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    Parivartini Ekadashi 2025 Date: 03 या 04 सितंबर, कब रखा जाएगा एकादशी का व्रत? यहां जानें मुहूर्त और पूजा विधि

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 09:00 PM (IST)

    बुधवार 03 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi 2025 Date) मनाई जाएगी। वैष्णव समाज के अनुयायी एकादशी का त्योहार उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इस दिन अन्न और धन का दान करना उत्तम माना जाता है।

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    Parivartini Ekadashi 2025 Date: परिवर्तिनी एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में परिवर्तिनी एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है।

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    धार्मिक मत है कि एकादशी व्रत करने से साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक को उच्च लोक में स्थान मिलता है। साथ ही पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। हालांकि, एकादशी व्रत की तिथि को लेकर साधक दुविधा में हैं। आइए, परिवर्तिनी एकादशी की सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त जानते हैं-  

    परिवर्तिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Parivartini Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 03 सितंबर को देर रात 03 बजकर 53 मिनट पर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 04 सितंबर को सुबह 04 बजकर 21 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है।

    कब मनाई जाएगी परिवर्तिनी एकादशी?

    एकादशी तिथि अंग्रेजी कैलेंडर से 03 सितंबर को देर रात 03 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी। आसान शब्दों में कहें तो 02 सितंबर की रात में एकादशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 03 सितंबर की रात में एकादशी तिथि का समापन होगा। अंग्रेजी कैलेंडर में मध्य रात 12 बजे के बाद तिथि बदल जाती है। इसके लिए सूर्योदय तिथि से 03 सितंबर को एकादशी मनाई जाएगी। अतः साधक 03 सितंबर के दिन परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखेंगे।

    परिवर्तिनी एकादशी पूजा विधि

    भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ब्रह्म बेला में उठें। इस समय लक्ष्मी नारायण जी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर पीले रंग के नवीन और स्वच्छ कपड़े पहनें।

    आत्मा के कारक सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार कर भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। इसके लिए पूजा स्थल पर एक चौकी पर पीले रंग के वस्त्र बिछाकर उन पर लक्ष्मी नारायण जी की प्रतिमा स्थापित करें। अब सबसे पहले भगवान विष्णु का अभिषेक करें। आप दूध या पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक कर सकते हैं।

    पूजा के समय लक्ष्मी नारायण जी को श्रीफल, फल, फूल और चावल की खीर अर्पित करें। व्रत कथा का पाठ और मंत्र का जप करें। वहीं, पूजा का समापन आरती से करें। दिन भर उपवास रखें. वहीं, संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ निर्धारित समय पर पारण करें।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।