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    Utpanna Ekadashi 2025: इन मंत्रों के जप से करें लक्ष्मी नारायण जी को प्रसन्न, खुशियों से भर जाएगा संसार

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 08:00 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो अगहन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी (Utpanna Ekadashi 2025 Yoga) तिथि यानी उत्पन्ना एकादशी के दिन शिववास योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी। साथ ही आर्थिक स्थिति अनुसार दान किया जाएगा।

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    Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शनिवार 15 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी है। यह पर्व हर साल अगहन माह में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान मधुसूदन और मां लक्ष्मी की पूजा और भक्ति की जाती है। साथ ही लक्ष्मी नारायण जी के निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है।

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    सनातन शास्त्रों में निहित है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अगर आप भी लक्ष्मी नारायण जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

    मां लक्ष्मी के मंत्र

    1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

    या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

    या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

    सा मां पातु मनोउत्पन्ना भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

     

    2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

    3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

    4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।

    मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

    ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

    5. ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।

    ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।

    6. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।

    7. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।

    8. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    9. ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।

    10. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

    विष्णु मंत्र

    1. ॐ नमोः नारायणाय॥

    2. विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र

    ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

    3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

    तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

    5. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुडध्वजः।

    मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

    6. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।