Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकादशी के दिन जरूर करें इस कथा का पाठ, मिलेगा व्रत का पूर्ण फल
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली उत्पन्ना एकादशी आज यानी 15 नवंबर को मनाई जा रही है। माना गया है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा।

Utpanna Ekadashi 2025 Vrat Katha in hindi
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी तिथि सभी तिथियों में विशेष महत्व रखती है, जो मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूज-अर्चना के लिए समर्पित है। एकादशी (Utpanna Ekadashi 2025) व्रत करने का भी विशेष लाभ माना गया है। इस दिन की पूजा में व्रत कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए।
उत्पन्ना एकादशी की कथा
भगवान श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर को उत्पन्ना एकादशी की कथा बताते हुए कहते हैं कि सतयुग में मुर नाम का दैत्य उत्पन्न हुआ। वह बड़ा ही बलवान था और उसने शक्तियों का इस्तेमाल कर इंद्र समेत अन्य देवताओं को भी पराजित कर दिया था। तब सभी देवताओं ने भगवान शिव की शरण ली और उन्हें सारा वृत्तांत बताया। तब भगवान शिव ने कहा कि हे देवताओं! तीनों लोकों के स्वामी भगवान विष्णु की शरण में जाओ, वहीं तुम्हारी सहायता करेंगे।

देवताओं ने ली विष्णु जी की शरण
शिव जी की बात मानकर सभी देवता क्षीरसागर में पहुंचे। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में थे, यह देख देवता हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करने लगे। देवताओं की बात सुनकर भगवान विष्णु कहने लगे कि हे इंद्र! ऐसा मायावी दैत्य कौन है जिसने सब देवताओं को पराजित कर दिया है। तब इंद्र देव ने उत्तर दिया कि भगवन! प्राचीन समय में एक नाड़ीजंघ नामक राक्षस था और उसका मुर नाम का एक पुत्र है, जिसने सब देवताओं को स्वर्ग से निकालकर वहां अपना अधिकार जमा लिया है।
यह वचन सुनकर भगवान बोले- हे देवताओं, मैं शीघ्र ही उसका संहार करूंगा। इस प्रकार भगवान सहित सभी देवताओं ने चंद्रावती नगरी की ओर प्रस्थान किया। दैत्य मुर सेना सहित युद्ध भूमि में गरज रहा था। सभी देवताओं व दैत्यों के बीच भयानक युद्ध हुआ, जो 10 हजार वर्ष तक चला। वहां हेमवती नामक एक गुफा थी, जिसमें भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए चले गए। वहां विष्णु भगवान योग निद्रा में चले गए।
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(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
देह से प्रकट हुईं देवी
मुर भी उनके पीछे-पीछे आ गया और भगवान को सोया हुआ देखकर मारने को उद्यत हुआ। तभी भगवान विष्णु की देह से एक उज्ज्वल, कांतिमय रूप वाली देवी प्रकट हुईं। देवी ने राक्षस मुर को ललकारा और युद्ध किया। देवी ने मुर को पराजित कर, मौत के घाट उतार दिया। प्रभु श्रीहरि जब योगनिद्रा से जागे, तो सब बातों को जानकर उन्होंने उस देवी से कहा कि आपका जन्म एकादशी के दिन हुआ है, अतः आप उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानी व पूजी जाएंगी।
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