Shukra Antardasha: कितने साल तक चलती है शुक्र की अंतर्दशा और कैसे करें दैत्यों के गुरु को प्रसन्न?
मां लक्ष्मी की कृपा से धन और सुख मिलता है, जबकि शुक्र देव की प्रसन्नता भौतिक सुख प्रदान करती है। शुक्र देव को प्रसन्न करने के लिए महादेव की पूजा, सोमवार और शुक्रवार को शिवजी का कच्चे दूध से अभिषेक और सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए।

Shukra Antardasha: शुक्र देव को कैसे प्रसन्न करें?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धन की देवी मां लक्ष्मी को शुक्रवार का दिन प्रिय है। इस दिन भक्ति भाव से देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही वैभव लक्ष्मी व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
शुक्रवार के दिन शुक्र देव की भी उपासना की जाती है। कुंडली में शुक्र मजबूत होने से जातक को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि शुक्र की अंतर्दशा (Shukra ki Antardasha) कितने समय तक चलती है और सुखों के कारक शुक्र देव को कैसे प्रसन्न करें? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
शुक्र देव को कैसे प्रसन्न करें?
देवों के देव महादेव की पूजा करने से कुंडली में शुक्र देव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। शुक्र देव की कृपा बरसने से जातक के घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही सुख और शोहरत की प्राप्ति होती है। शुक्र देव की कृपा पाने के लिए सोमवार और शुक्रवार के दिन गाय के कच्चे दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें।
शिवजी की कृपा पाने के लिए आप दही, घी और पंचामृत से भी महादेव का अभिषेक कर सकते हैं। इसके साथ ही सोमवार और शुक्रवार के दिन दूध, दही, नमक, चीनी, चावल, आटा, मैदा और सफेद कपड़े आदि चीजों का दान करें। इन चीजों के दान से कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है।
शुक्र की अंतर्दशा
ज्योतिषियों की मानें तो शुक्र की महादशा 20 साल तक चलती है। शुक्र की महादशा के दौरान सबसे पहले शुक्र की अंतर्दशा और शुक्र की प्रत्यंत्तर दशा चलती है। शुक्र की अंतर्दशा तीन साल और तीन महीने की होती है। वहीं, शुक्र की प्रत्यंत्तर दशा तकरीबरन सात महीने तक चलती है।
इसके बाद क्रमश: सूर्य, चंद्र, मंगल, राहु, गुरु, शनि, बुध और केतु की अंतर्दशा चलती है। इस दौरान शुभ और अशुभ ग्रहों की अंतर्दशा एवं प्रत्यंतर दशा चलती है। शुक्र की महादशा के दौरान जातक को शुभ ग्रहों की अंतर्दशा के दौरान शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वहीं, अशुभ ग्रहों की अंतर्दशा में जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शुक्र ग्रह के मंत्र
ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:
2. ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
3. ऊँ वस्त्रं मे देहि शुक्राय स्वाहाशुक्र एकाक्षरी बीज मंत्र ||
4. ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
5. “ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्” ।।
ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सेमं प्रजापति: ।
यह भी पढ़ें- Pradosh Vrat 2025: भौम प्रदोष व्रत पर करें शिव तांडव स्तोत्र का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम
यह भी पढ़ें- शनिवार के दिन करें सुंदरकांड के इन दोहों का पाठ, शनिदेव के साथ मिलेगी हनुमान जी की कृपा
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।