Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Margashirsha Amavasya 2025: अगहन अमावस्या पर पूजा के समय करें इस चालीसा का पाठ, पितृ ऋण से मिलेगी मुक्ति

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 10:00 PM (IST)

    20 दिसंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी, जो पितरों को समर्पित है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें। यह पितरों की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।  

    Hero Image

    Margashirsha Amavasya 2025: अगहन अमावस्या का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गुरुवार 20 दिसंबर को देशभर में मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी। यह दिन पितरों को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान कर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से व्यक्ति को जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    lord vishnu  - 2025-04-14T151330_026

    अगर आप भी पितृ ऋण से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से विष्णु जी की पूजा (Margashirsha Amavasya 2025) करें। वहीं, पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ करें।

    विष्णु चालीसा

    ॥ दोहा ॥

    विष्णु सुनिए विनय,सेवक की चितलाय।

    कीरत कुछ वर्णन करूं,दीजै ज्ञान बताय॥

    ॥ चौपाई ॥

    नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

    प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

    सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

    तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

    शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

    सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

    सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

    सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

    पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

    करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

    धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

    भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

    आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

    धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

    अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

    देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

    कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

    शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

    वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

    मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

    असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

    हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

    सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

    तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

    देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

    हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

    तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

    गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

    हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

    देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

    चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

    जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

    शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

    करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

    करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भाँति मैं करहुँ समर्पण॥

    सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

    दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

    पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

    सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

    निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

    यह भी पढ़ें- Margashirsha Amavasya 2025 Date: अमावस्या के दिन ऐसे करें पितरों का तर्पण, पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति

    यह भी पढ़ें- Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या पर पूजा के समय करें इस खास चालीसा का पाठ, बरसेगी पितरों की कृपा

    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।