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    Aaj ka Panchang 17 March 2025: इन शुभ योग में किया जाएगा संकष्टी चतुर्थी व्रत, पढ़िए पंचांग-शुभ मुहूर्त

    Updated: Mon, 17 Mar 2025 08:21 AM (IST)

    हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवन गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। पंचांग के अनुसार भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर कई शुभ बन रहे हैं तो ऐसे में चलिए पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में

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    Aaj ka Panchang 17 March 2025 पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त।(Pic Credit-Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आज यानी 17 मार्च को है। आज भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जा रहा है। इस तिथि पर भगवन गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही साधक अन्न और धन का दान गरीब लोगों में करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी तिथि पर कई शुभ और अशुभ योग भी बन रहे हैं। आइए पढ़ते हैं आज का पंचांग।

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    आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 17 March 2025)

    सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

    सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 28 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 31 मिनट पर

    चन्द्रोदय - सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर

    चन्द्रास्त - सुबह 07 बजकर 50 मिनट पर

    यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2025: ये हैं भगवान गणेश के प्रिय भोग, पूजा थाली में शामिल करने से दुख-दर्द होंगे दूर

    वार - सोमवार

    ऋतु - वसंत

    शुभ समय (Today Shubh Muhurat)

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 53 मिनट से 05 बजकर 41 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 18 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 28 मिनट से 06 बजकर 52 मिनट तक

    अमृत काल- सुबह 07 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 23 मिनट तक

    अभिजीत मुहूर्त - रात 12 बजकर 06 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक

    अशुभ समय

    राहुकाल - सुबह 07 बजकर 59 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक

    गुलिक काल - दोपहर 02 बजे से 03 बजकर 30 मिनट तक

    दिशा शूल - पूर्व

    नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबल - भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती

    राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम - मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर

    भगवान गणेश के मंत्र

    1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

    4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

    5. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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