Aaj ka Panchang 3 December 2025: बुधवार के दिन कौन-से बन रहे शुभ-अशुभ योग? पंचांग से जानें राहुकाल का समय
Aaj ka Panchang 3 दिसंबर 2025 के अनुसार, आज यानी 3 दिसंबर को बुधवार है। यह दिन भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। बुधवार के दिन ...और पढ़ें

Aaj ka Panchang 3 December 2025: क्या है आज का राहुकाल का समय
आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज यानी 3 दिसंबर को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस तिथि पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जा रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बुधवार के दिन भगवान गणेश की साधना करने से बिगड़े काम पूरे होते हैं। साथ ही जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। आज कई शुभ और अशुभ योग भी बन रहे है। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 3 December 2025) के बारे में।
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तिथि: शुक्ल त्रयोदशी
मास पूर्णिमांत: मार्गशीर्ष
दिन: बुधवार
संवत्: 2082
तिथि: शुक्ल त्रयोदशी – दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक
योग: पारिघ – रात्रि 04 बजकर 57 मिनट तक
करण: तैतिला – दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक
करण: गरजा – रात्रि 10 बजकर 33 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 58 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 24 मिनट पर
चंद्रोदय: दोपहर 03 बजकर 43 मिनट पर
चंद्रास्त: 04 दिसंबर को प्रातः 06 बजकर 07 मिनट पर
सूर्य राशि: वृश्चिक
चन्द्रमा की राशि: मेष
आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: कोई नहीं
अमृत काल: दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 10 मिनट तक
आज के अशुभ समय
राहुकाल: दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से दोपहर 01 बजकर 49 मिनट तक
गुलिकाल: प्रातः 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 08 बजकर 16 मिनट से प्रातः 09 बजकर 34 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव भरनी नक्षत्र में रहेंगे।
भरनी नक्षत्र: सायं 05 बजकर 59 मिनट तक।
सामान्य विशेषताएं: सुंदर व्यक्तित्व, आभूषण-प्रिय, तेज बुद्धि, निपुण, यात्राप्रिय, स्वस्थ, जोशीले, नेतृत्व क्षमता, खेल-प्रिय, अधीर, आक्रामक और क्रोधी
शासक ग्रह: केतु देव
राशि स्वामी: मंगल देव
देवता: अश्विनी कुमार
प्रतीक: घोड़े का सिर
गणेश मंत्र
1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
3. 'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
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