Akshaya Navami 2025: अक्षय नवमी के दिन इस मुहूर्त में करें पूजा, यहां पढ़ें विधि और मंत्र
अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी भी कहते हैं, हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए दान-पुण्य और शुभ कार्यों का फल अक्षय अर्थात कभी न समाप्त होने वाला होता है। चलिए पढ़ते हैं अक्षय नवमी की पूजा विधि।
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अक्षय नवमी का दान, पूजा विधि और मंत्र।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवउठनी एकादशी से दो दिन बाद अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व आज यानी 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी (Akshaya Navami 2025) के दिन आंवले का सेवन करने और आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर इसका सेवन करने से परिवार का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। ऐसे में इस तिथि पर भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने से साधक को अच्छे परिणाम मिलने लगते हैं।
अक्षय नवमी पूजा विधि (Akshaya Navami puja vidhi)
अक्षय नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें। इसके बाद पूजा स्थल यानी आंवले के पेड़ के पास भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा के दौरान अपना मुख पूर्व दिशा में रखें। पेड़ की जड़ में दूध अर्पित करें और कच्चे सूत का धागा लपेटें। इसके बाद पूजा में भगवान विष्णु को रोली, चावल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। कपूर और घी का दीपक जलाकर विष्णु जी की आरती करें और आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें। इस दिन पूजा का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 44 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक रहने वाला है।

करें इन चीजों का दान (Akshaya Navami daan)
अक्षय नवमी के दिन दान करने का भी विशेष महत्व माना गया है। इस दिन किए गए दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में आप इस दिन पर अनाज, वस्त्र, कंबल कद्दू और आंवलें का दान कर सकते हैं। इसके साथ ही अक्षय नवमी के दिन दीपदान करना भी काफी शुभ माना गया है। शुभ फलों की प्राप्ति के लिए आप इस दिन पर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दे सकते हैं।
करें इन मंत्रों का जप (Akshaya Navami mantra)
अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ महादेव के मंत्रों का जप करना भी काफी शुभ माना गया है।
1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
2. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
3. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

शिव जी के मंत्र -
1. ॐ नमः शिवाय
2. ॐ नमो भगवते रूद्राय
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात
4. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
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