Anant Chaturdashi 2025 Date: अनंत चतुर्दशी कब है? जानें डेट, टाइम और पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी का पर्व बहुत ही शुभ माना गया है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह गणेश उत्सव के समापन का प्रतीक है। इस दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2025 Date) कब मनाई जाएगी? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं जो इस प्रकार हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अनंत चतुर्दशी पर्व का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को समर्पित है। साथ ही, यह 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव के समापन का भी प्रतीक है। इस दिन साधक भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं, जिसे गणेश विसर्जन भी कहा जाता है, तो आइए इस साल अनंत चतुर्दशी कब शुरू होगी और इसकी पूजा विधि क्या है इस आर्टिकल में जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -
अनंत चतुर्दशी डेट और टाइम (Anant Chaturdashi 2025 Date And Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 06 सितंबर को देर रात 03 बजकर 12 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए इस साल 06 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी।
पूजा की सही विधि (Anant Chaturdashi 2025 Puja Vidhi)
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- इसके बाद, भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- एक वेदी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- एक कलश में जल भरकर रखें।
- भगवान विष्णु की षोडशोपचार विधि से पूजा करें।
- उन्हें पीले फूल, चंदन, अक्षत, धूप और दीप अर्पित करें।
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें।
- अंत में आरती करें।
- वहीं, जो लोग गणेश उत्सव मनाते हैं, वे इस दिन गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करके विसर्जन करें। विसर्जन से पहले, भगवान गणेश की आरती करें और उनसे अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना करें।
अनंत चतुर्दशी पूजन मंत्र (Anant Chaturdashi 2025 Puja Mantra)
1. शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
2. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
3.ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
4.ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥
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