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    Anant Chaturdashi 2025: किस दिन मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी? यहां नोट करें सही डेट और मुहूर्त

    भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि जगत की देवी श्रीराधा रानी को समर्पित होता है। इस दिन जगत की दुलारी श्रीराधा रानी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इसके लिए 5 दिन बाद अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2025 date) मनाई जाती है।

    By Pravin Kumar Edited By: Pravin Kumar Updated: Wed, 13 Aug 2025 04:11 PM (IST)
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    Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल बुधवार 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी है। गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की पूजा एवं भक्ति की जाती है। यह पर्व देशभर में मनाया जाता है।

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    वहीं, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि भाद्रपद महीने में अनंत चतुर्दशी कब और क्यों मनाई जाती है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    कब मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी? (Anant Chaturdashi Shubh Muhurat)

    हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के अगले दिन अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही रक्षा सूत्र बांधा जाता है। लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

    कब है अनंत चतुर्दशी? (Anant Chaturdashi 2025 date)

    भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 06 सितंबर को देर रात 03 बजकर 12 मिनट पर होगी। वहीं, 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का समापन होगा। इस प्रकार 06 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी।

    अनंत चतुर्दशी शुभ योग (Anant Chaturdashi Shubh Yog)

    अनंत चतुर्दशी के दिन सुकर्मा और रवि योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र का संयोग बनेगा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर पूजा के लिए शुभ समय दिन भर है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। इस दिन सुबह 05 बजकर 21 मिनट से लेकर 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट तक पूजा के लिए उत्तम समय है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।