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    Ashadha Purnima 2025: आषाढ़ पूर्णिमा पर दूर होगा पितृ दोष, महासंयोग पर करें ये काम और पाएं राहत

    ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ पूर्णिमा (Ashadha Purnima 2025) पर इंद्र योग भद्रावास योग और पूर्वाषाढ़ा योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी और सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 09 Jul 2025 05:29 PM (IST)
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    Ashadha Purnima 2025: आषाढ़ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। शास्त्रों में निहित है कि वेदों के रचयिता वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसके लिए आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरुओं की पूजा की जाती है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ पूर्णिमा तिथि पर इंद्र योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बरसेगी। आइए, आषाढ़ पूर्णिमा पर बनने वाले योग के बारे में जानते हैं -

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    आषाढ़ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Ashadha Purnima Shubh Muhurat)

    आषाढ़ पूर्णिमा की शुरुआत 10 जुलाई को देर रात 01 बजकर 36 मिनट (अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार) पर होगी। वहीं, आषाढ़ पूर्णिमा का समापन 11 जुलाई को देर रात 02 बजकर 06 मिनट पर होगा। उदया गणना से 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर 20 मिनट पर है।

    पितृ दोष उपाय

    • आषाढ़ पूर्णिमा के दिन स्नान-ध्यान के बाद पितरों का तर्पण करें। इस समय गंगाजल में काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा में मुखकर पितरों का तर्पण करें।
    • ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, धन और कपड़े का दान करें। इस उपाय को करने से गुरुओं की कृपा साधक पर बरसेगी। 
    • शनिदेव की कृपा पाने के लिए कौवा को खाना खिलाएं। इस उपाय को करने से शनिदेव की कृपा बरसती है। 
    • देवों के देव महादेव की पूजा भक्ति भाव से करें। इस समय अपनी सुविधा अनुसार महादेव का अभिषेक करें।
    • शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इन उपाय को करने से पितृ दोष से राहत मिलती है। 

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 31 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 22 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- शाम 07 बजकर 20 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 10 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।