5th Bada Mangal 2025: पांचवे बड़े मंगल पर हनुमान जी को लगाएं इन चीजों का भोग, खुश होंगे वीर हनुमान
ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को बड़ा मंगल (Bada Mangal 2025 5th) कहा जाता है जो हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन भक्त हनुमान जी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। इसे बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दौरान व्रत रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ महीने में आने वाले सभी मंगलवार को बेहद फलदायी माना जाता है। इसे 'बड़ा मंगल' या 'बुढ़वा मंगल' कहा जाता है। यह पर्व हनुमान जी को समर्पित है। कहते हैं कि इस दौरान हनुमान जी की मुलाकात प्रभु श्रीराम से पहली बार हुई थी। वहीं, इस दिन (Bada Mangal 2025 5th Tuesday) पवन पुत्र की पूरी कृपा पाने के लिए उन्हें कुछ विशेष भोग चढ़ाने चाहिए, तो आइए उन भोग के बारे में जानते हैं।
पांचवे बड़े मंगल के भोग (Lord Hanuman Favorite Bhog)
लड्डू
मोतीचूर के लड्डू भगवान हनुमान (Hanuman Puja For Happiness) को बहुत प्रिय हैं। यह उनके प्रिय भोगों में से एक है। ऐसे में पांचवे बड़े मंगल के दिन मोतीचूर के लड्डू हनुमान जी को चढ़ाएं। इससे बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
मालपुआ
पांचवे बड़े मंगल पर वीर हनुमान को मालपुआ का भोग लगाना शुभ माना जाता है। ऐसे में पांचवे बड़े मंगल पर मालपुए का भोग वीर बजरंगी को खुश करने के लिए जरूर लगाएं। ऐसा करने जीवन के साथ-साथ रिश्तों में मिठास आती है।
चूरमा
राजस्थान और गुजरात में पवन पुत्र को चूरमे का भोग लगाया जाता है। कहते हैं कि यह हनुमान जी का प्रिय भोग है। ऐसे में इसे चढ़ाने से हनुमान जी भक्तों को निरोगी काया और सुख-शांति का वरदान देते हैं।
मीठा पान
पान का बीड़ा हनुमान जी को बेहद प्रिय है, खासतौर पर मीठा पान, जो कि आमतौर पर हर बड़े मंदिरों में चढ़ता है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी को मीठा पान चढ़ाने से रिश्तों में मिठास आती है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।
गुड़ और चना
गुड़ और चने का भोग हनुमान जी को सबसे ज्यादा प्रिय है। इसे चढ़ाने से हनुमान जी खुश होते हैं और मनचाहा फल देते हैं। इसके साथ ही सभी पापों का नाश करते हैं।
हनुमान जी पूजा मंत्र ( Puja Mantra)
- श्री राम दूताय नम:।।
- मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम्
वातात्मजम् वानरयूथमुख्यम् श्रीरामदूतम् शरणम् प्रपद्ये।।
- ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्।।
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