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    Chhath Puja 2025: खरना पूजा के दिन क्या करें क्या नहीं, यहां जानें जरूरी नियम

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 05:44 PM (IST)

    नहाय-खाय से छठ महापर्व की शुरुआत होती है और दूसरे दिन खरना पूजा (Kharna Puja Niyam) की जाती है। इस बार खरना 26 अक्टूबर को किया जाएगा। यह दिन व्रत करने वाली महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि खरना के दिन ही छठी मैया का घर में आगमन होता है। चलिए जानते हैं कि खरना पूजा के दिन किन कार्यों से बचना चाहिए।

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    Chhath Puja 2025 Kharna puja niyam in hindi

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। छठ का व्रत (Chhath Puja 2025) मुख्य रूप से स्त्रियों द्वारा रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान और परिवार की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। छठ पर्व की धूम न केवल बिहार में देखने को मिलती है, बल्कि भारत के कई स्थानों पर इस पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि खरना पूजा के दिन आपको किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

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    खरना से जुड़ी खास बातें

    ‘खरना’ का  अर्थ होता है, शुद्धता। ऐसे में इस दिन पर शुद्धता व पवित्रता का खास तौर से ध्यान रखा जाता है, ताकि पूजा में किसी तरह की बाधा न आए। इस दिन पर व्रती प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के नए चूल्हे का इस्तेमाल करती हैं। साथ ही चूल्हा जलाने के लिए आम की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे प्रसाद की पवित्रता बनी रहती है। इस दिन पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को देवी-देवताओं और छठी मैया को भोग लगाने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

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    जरूर करें ये काम

    • सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
    • पूजा का प्रसाद बनाने के लिए हमेशा साफ-सुथरी जगह का चुनाव करें।
    • प्रसाद में गुड़, चावल और दूध से बनी खीर, पूरी व ठेकुआ आदि शामिल करें।
    • छठी मैया को इस प्रसाद का भोग लगाएं और फिर व्रती इसे ग्रहण करें।
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    भूल से भी न करें ये काम

    • व्रत के प्रसाद में भूल से भी साधारण नमक का इस्तेमाल न करें, इसके लिए हमेशा सेंधा नमक का इस्तेमाल करें।
    • पूजा में इस्तेमाल होने वाली किसी भी सामग्री को गंदे या जूठे हाथों से न छुएं।
    • यदि गलती से गंदे या जूठे हाथों से किसी पूजा की सामग्री को छू लेते हैं, तो इसका पूजा में इस्तेमाल न करें।
    • प्रसाद बनाते समय शुद्धता व साफ-सफाई का पूर्ण रूप से ध्यान रखें।
    • खरना का प्रसाद पूर्ण रूप से सात्विक होना चाहिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।