Chhath Puja 2025: क्या है ऊषा और संध्या अर्घ्य का समय? जानें संपूर्ण जानकारी
छठ पूजा (Chhath Puja 2025) सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित लोक आस्था का महापर्व है, जो चार दिनों तक चलता है। यह व्रत कठोर नियमों और पवित्रता के साथ किया जाता है। इसमें संध्या अर्घ्य और ऊषा अर्घ्य मुख्य होते हैं, जिसमें व्रती पवित्र नदी में घुटनों तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।

Chhath Puja 2025: उषा और संध्या अर्घ्य का समय।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2025: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा, सूर्य देव और छठी माती की पूजा के लिए समर्पित है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत में पवित्रता और कठोर नियमों का पालन किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान से जुड़ी सभी मुश्किलें दूर होती हैं। साथ ही सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा का मुख्य दिन संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya schedule) और ऊषा अर्घ्य (Usha Arghya Time) को माना जाता है, तो आइए इस आर्टिकल में इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

ऊषा और संध्या अर्घ्य का समय (Chhath Puja Arghya Time 2025)
- 27 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगा।
- 28 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर होगा।
अर्घ्य नियम (Chhath Puja Arghya Rules)
- व्रती अर्घ्य के लिए किसी पवित्र नदी या घाट पर जाएं।
- घुटनों तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव की उपासना करें।
- अर्घ्य हमेशा तांबे के लोटे से दिया जाता है।
- लोटे में गंगाजल या शुद्ध जल भरकर, उसमें थोड़ा दूध और लाल फूल मिलाएं।
- सूर्य की ओर मुख करके धीरे-धीरे जल चढ़ाएं।
- बांस के सूप या दउरा में ठेकुआ, फल, गन्ना, मूली और अन्य पकवान रखकर अर्घ्य देने का विधान है।
- इस दौरान पवित्रता का खास ख्याल रखें।
- तामसिक चीजों से पूरी तरह से दूर रहें।
अर्घ्य मंत्र ( Puja Mantra)
- ॐ सूर्याय नमः।।
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजो राशे जगत्पते,
- अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
- ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:। विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।
पूजा सामग्री (Puja Samagri)
- बांस का सूप, बांस की टोकरी।
- तांबे का लोटा/कलश, कच्चा दूध, गंगाजल।
- ठेकुआ, चावल के लड्डू (कसार), गन्ना (पूरा पत्ता सहित), पानी वाला नारियल, केला, सेब, संतरा, नींबू (डाभ नींबू), शकरकंदी, सिंघाड़ा आदि मौसमी फल।
- हल्दी, अदरक का पौधा, पान, सुपारी, धूप-दीप, कपूर, सिंदूर, पीला/लाल वस्त्र आदि।
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