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    Chitragupta Puja 2025 Katha: चित्रगुप्त पूजा के समय करें इस कथा का पाठ, सभी पापों से मिलेगी मुक्ति

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 10:36 AM (IST)

    हिंदू धर्म में चित्रगुप्त पूजा का विशेष महत्व है, जिसमें कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। इस दिन उनकी पौराणिक कथा का पाठ (Chitragupta Puja 2025 Katha) करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु का भय नहीं रहता।

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    Chitragupta Puja 2025: चित्रगुप्त पूजा कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाने वाली चित्रगुप्त पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन (Chitragupta Puja 2025) सभी व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। इस साल यह पावन पर्व 23 अक्टूबर, दिन गुरुवार यानी आज मनाया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि चित्रगुप्त पूजा के दौरान उनकी पौराणिक कथा का पाठ करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु का भय नहीं रहता, तो आइए करते हैं -

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    चित्रगुप्त पूजा की कथा (Chitragupta Puja 2025 Katha)

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    पौराणिक कथा (Story For Sin Removal) के अनुसार, प्राचीन काल में सौदास नाम का एक क्रूर और निर्दयी राजा था। वह अपनी प्रजा पर बहुत अत्याचार करता था और उसने अपने जीवन में कभी कोई पुण्य काम नहीं किया था। एक बार, राजा सौदास शिकार खेलते हुए जंगल में भटक गया। वहीं उसने एक ब्राह्मण को देखा, जो पूरी श्रद्धा और एकाग्रता से पूजा कर रहा था। तब राजा ने ब्राह्मण से पूछा, 'हे ब्राह्मण! आप किस देवता की पूजा कर रहे हैं और इसका क्या महत्व है?'

    ब्राह्मण ने उत्तर दिया, 'महाराज आज कार्तिक शुक्ल द्वितीया है। 'मैं भगवान चित्रगुप्त की पूजा कर रहा हूं, जो यमराज के सचिव हैं और सभी मनुष्यों के कर्मों का हिसाब रखते हैं। इनकी पूजा करने से पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं नहीं भोगनी पड़तीं।'

    ब्राह्मण की बात सुनकर राजा सौदास को अपने बुरे कर्मों का अहसास हुआ। उसने उसी दिन सच्चे मन से चित्रगुप्त जी और यमराज की पूजा की और भविष्य में अच्छे कर्म करने का संकल्प लिया। समय आने पर जब राजा सौदास की मृत्यु हुई, तो उसे यमलोक ले जाया गया। वहां चित्रगुप्त महाराज ने जब उसके कर्मों का लेखा-जोखा देखा, तो यमराज से कहा, 'हे धर्मराज! राजा सौदास ने जीवन में भले ही बहुत पाप किए हों, लेकिन उसने सच्चे और शुद्ध मन से आप और मेरी पूजा की थी।

    शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन (Puja Vidhi And Significance) निष्ठापूर्वक हमारी पूजा करता है, उसे नरक नहीं भेजा जा सकता।' चित्रगुप्त जी के न्यायपूर्ण निर्णय के कारण राजा सौदास को पापों से मुक्ति मिली और उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।