Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Dhanu Sankranti 2025: कब मनाई जाएगी धनु संक्रांति? यहां पढ़ें स्नान-दान का आध्यात्मिक महत्व

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 03:00 PM (IST)

    जब सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस दिन धनु संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन स्नान, जप, ध्यान और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने का वि ...और पढ़ें

    Hero Image

    Dhanu Sankranti 2025: किन कामों से सूर्यदेव को करें प्रसन्न?

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। वर्ष के अंतिम चरण में आने वाली धनु संक्रांति हिन्दू धर्म में अत्यंत पावन तिथि मानी गई है। इस वर्ष धनु संक्रांति 16 दिसंबर 2025 (Dhanu Sankranti date 2025) को पड़ रही है। हर वर्ष सूर्यदेव के वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करने को धनु संक्रांति कहा जाता है। इस दिन का महत्व धर्म, अध्यात्म और दान-पुण्य के दृष्टिकोण से बहुत ऊंचा माना गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मान्यता है कि इस पावन संक्रांति पर किया गया स्नान, जप, ध्यान और दान साधक के जीवन में पुण्य की वृद्धि करता है और आने वाले समय को अधिक शुभ बनाता है। श्रद्धालु इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्यदेव (Dhanu Sankranti puja vidhi) को अर्घ्य अर्पित करते हैं और मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।

    surya dev  (26)

    धनु संक्रांति पर स्नान का आध्यात्मिक महत्व (Dhanu Sankranti significance)


    धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि धनु संक्रांति पर ब्रह्म मुहूर्त में किया गया स्नान पुराने पापों को शांत करने वाला माना गया है। इस दिन सूर्योदय के समय स्नान करने से मन की नकारात्मकता दूर होती है और साधक के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का जन्म होता है। स्नान के दौरान ईश्वर का ध्यान करने से मानसिक बोझ कम होता है और व्यक्ति अधिक सात्विक तथा शांत अनुभव करता है। माना गया है कि इस विशेष तिथि पर किया गया जल-स्नान शरीर और मन दोनों की शुद्धि का माध्यम बनता है।

    surya dev  (27)

    स्नान के साथ दान-पुण्य का विशेष फल

    धनु संक्रांति पर दान को अत्यंत फलदायी कहा गया है। इस दिन अन्नदान, वस्त्रदान, तिलदान, गुड़ और कच्चे अन्न का दान जीवन में स्थिरता, शांति और समृद्धि लाने वाला माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन किया गया दान अनेक गुना पुण्य देता है और यह पुण्य परिवार तथा आने वाली पीढ़ियों तक कल्याणकारी प्रभाव प्रदान करता है। तिल का दान विशेष रूप से पवित्र माना गया है, क्योंकि तिल को शुद्धि और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक बताया गया है।

    सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक संतुलन का अवसर

    यह तिथि केवल स्नान-दान का अवसर भर नहीं है, बल्कि जीवन में आध्यात्मिक उन्नति का महत्वपूर्ण दिन भी है। सूर्य नमस्कार, मंत्र-जप और ध्यान साधक के भीतर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं और मन में स्थिरता लाते हैं। माना जाता है कि इस दिन की उपासना से भाग्य का प्रवाह सुधरता है, बाधाएं दूर होती हैं और स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी प्राप्त होते हैं। संक्रांति का यह पवित्र समय साधक को मानसिक शुद्धि, स्पष्टता और नई दिशा प्रदान करता है।

    यह भी पढ़ें- Paush Month 2025: पौष महीने में क्यों नहीं होते मांगलिक काम? पढ़ें इससे जुड़ी कथा और वजह

    यह भी पढ़ें- Paush Month 2025: एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक, यहां पढ़ें पौष माह के व्रत-त्योहारों की लिस्ट

    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।