Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Diwali 2025: दीवाली पर इन मंत्रों के जप से करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न, आर्थिक तंगी हो जाएगी दूर

    Updated: Mon, 20 Oct 2025 09:21 AM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो दीवाली (Diwali 2025) पर दुर्लभ शिववास योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होगी।

    Hero Image

    Diwali 2025: धन की देवी मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में दीवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रकाश का पर्व दीवाली कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     maa laxmi

    धार्मि मत है कि कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। अगर आप भी धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो आज दीवाली के दिन भक्ति भाव से लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें और धनदा स्तोत्र का पाठ करें।

    मां लक्ष्मी मंत्र

    dhanteras mantra

    1. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

    2. ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नमः

    3. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

    4. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।

    5. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।

    6. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।

    मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

    7. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

    8. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये।

    धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

    9. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

    10. ॐ नमो अर्हते भगवते श्रीमते पुष्‍पदंत तीर्थंकराय।

    अजितयक्ष महाकालियक्षी सहिताय ॐ आं क्रों ह्रीं ह्र:।।

     

    धनदा लक्ष्मी स्तोत्र (Dhanadalakshmi Stotram)

     

    ॥ धनदा उवाच ॥

     

    देवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम्।

     कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्॥1

    ॥ देव्युवाच ॥

    ब्रूहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम्।

     दरिद्र दलनोपायमंजसैव धनप्रदम्॥

     ॥ शिव उवाच ॥

     पूजयन् पार्वतीवाक्यमिदमाह महेश्वरः।

     उचितं जगदम्बासि तव भूतानुकम्पया॥

     स सीतं सानुजं रामं सांजनेयं सहानुगम्।

     प्रणम्य परमानन्दं वक्ष्येऽहं स्तोत्रमुत्तमम्॥

     धनदं श्रद्धानानां सद्यः सुलभकारकम्।

     योगक्षेमकरं सत्यं सत्यमेव वचो मम॥

     

    पठंतः पाठयंतोऽपि ब्रह्मणैरास्तिकोत्तमैः।

     धनलाभो भवेदाशु नाशमेति दरिद्रता॥

     भूभवांशभवां भूत्यै भक्तिकल्पलतां शुभाम्।

     प्रार्थयत्तां यथाकामं कामधेनुस्वरूपिणीम्॥

     धनदे धनदे देवि दानशीले दयाकरे।

     त्वं प्रसीद महेशानि! यदर्थं प्रार्थयाम्यहम्॥

     धराऽमरप्रिये पुण्ये धन्ये धनदपूजिते।

     सुधनं र्धामिके देहि यजमानाय सत्वरम्॥

     रम्ये रुद्रप्रिये रूपे रामरूपे रतिप्रिये।

     शिखीसखमनोमूर्त्ते प्रसीद प्रणते मयि॥

     आरक्त-चरणाम्भोजे सिद्धि-सर्वार्थदायिके।

     दिव्याम्बरधरे दिव्ये दिव्यमाल्यानुशोभिते॥

     समस्तगुणसम्पन्ने सर्वलक्षणलक्षिते।

     शरच्चन्द्रमुखे नीले नील नीरज लोचने॥

     चंचरीक चमू चारु श्रीहार कुटिलालके।

     मत्ते भगवती मातः कलकण्ठरवामृते॥

     हासाऽवलोकनैर्दिव्यैर्भक्तचिन्तापहारिके।

     रूप लावण्य तारूण्य कारूण्य गुणभाजने॥

     क्वणत्कंकणमंजीरे लसल्लीलाकराम्बुजे।

     रुद्रप्रकाशिते तत्त्वे धर्माधरे धरालये॥

     प्रयच्छ यजमानाय धनं धर्मेकसाधनम्।

     मातस्त्वं मेऽविलम्बेन दिशस्व जगदम्बिके॥

     कृपया करुरागारे प्रार्थितं कुरु मे शुभे।

     वसुधे वसुधारूपे वसु वासव वन्दिते॥

     धनदे यजमानाय वरदे वरदा भव।

     ब्रह्मण्यैर्ब्राह्मणैः पूज्ये पार्वतीशिवशंकरे॥

     स्तोत्रं दरिद्रताव्याधिशमनं सुधनप्रदम्।

     श्रीकरे शंकरे श्रीदे प्रसीद मयिकिंकरे॥

     पार्वतीशप्रसादेन सुरेश किंकरेरितम्।

     श्रद्धया ये पठिष्यन्ति पाठयिष्यन्ति भक्तितः॥

     सहस्रमयुतं लक्षं धनलाभो भवेद् ध्रुवम्

     धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च।

     भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धन-धान्यादिसम्पदः॥

    यह भी पढ़ें- Diwali 2025: दीवाली पर मां लक्ष्मी को चढ़ाएं ये दिव्य भोग, नोट करें पूजन सामग्री और मंत्र

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।