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    Ganadhipa Chaturthi 2025: गणाधिप संकष्टी पर भूलकर भी न करें ये गलतियां, रखें इन बातों का ध्यान

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 08:59 AM (IST)

    गणाधिप संकष्टी (Ganadhipa Chaturthi 2025) का दिन बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह व्रत कल यानी 9 नवंबर को रखा जाएगा। माना जाता है कि इस व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए, तो आइए उन नियमों को जानते हैं।

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    Ganadhipa Chaturthi 2025: गणाधिप संकष्टी के नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक शुभ दिन है। इस दिन व्रत और पूजा-अर्चना करने से सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हालांकि, व्रत का पूरा फल पाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना और कुछ गलतियों से बचना होता है, जिससे पूजा में किसी तरह का विघ्न नहीं पड़ता है, तो आइए इस आर्टिकल में इस दिन (Ganadhipa Chaturthi 2025) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    चंद्र दर्शन और अर्घ्य न देना

    संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही पूरा माना जाता है। बहुत से लोग रात में चंद्रोदय का इंतजार किए बिना ही व्रत खोल लेते हैं, जिससे व्रत अधूरा रह जाता है। वहीं, सूर्यास्त के बाद, चंद्रोदय के समय चंद्रमा को दूध और जल मिश्रित अर्घ्य जरूर दें। ऐसा करने चंद्रमा को अर्घ्य देने से कुंडली से चंद्र दोष भी दूर होता है।

    तामसिक भोजन का सेवन

    व्रत के दिन शुद्ध सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए। लहसुन, प्याज, मांसाहार और मदिरा का सेवन इस दिन पूर्ण रूप से वर्जित है। इसके अलावा व्रत के दौरान मन और शरीर की पवित्रता बनाई रखनी चाहिए। केवल फलाहार या सात्विक आहार ही लें।

    तुलसी का प्रयोग करना

    भगवान गणेश की पूजा में तुलसी के पत्ते अर्पित नहीं किए जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, गणेश जी ने तुलसी को अपनी पूजा में वर्जित रहने का श्राप दिया था। ऐसे में गणेश जी की पूजा में दूर्वा घास अर्पित करें, क्योंकि यह उन्हें बहुत प्रिय है। दूर्वा की 21 गांठें बनाकर चढ़ाना शुभ माना जाता है।

    काले या नीले वस्त्र पहनना

    गणेश जी की पूजा में काले या नीले रंग के वस्त्र पहनना अशुभ माना जाता है। इसलिए इस शुभ दिन पर लाल, पीले या हरे रंग के कपड़े पहनें। कहते हैं कि लाल रंग गणेश जी को प्रिय है और यह सौभाग्य का प्रतीक है।

    अपशब्दों का प्रयोग

    व्रत के दिन घर में नकारात्मक माहौल बनाना, झगड़ा करना या किसी को अपशब्द कहना पूजा के फल को नष्ट कर देता है। ऐसे में पूरे दिन शांति, सकारात्मकता और पवित्रता बनाए रखें। साथ ही "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करते रहें और गणेश जी की कथा सुनें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।