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    Gita Updesh: गीता के ये श्लोक दिलाएंगे सभी चिंताओं से मुक्ति, आसान होगी सफलता की राह

    Updated: Tue, 22 Apr 2025 04:58 PM (IST)

    भगवत गीता हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है। यह असल में महाभारत की युद्धभूमि में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। भगवत गीता में कुल 18 अध्याय हैं जो जीवन के कई पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं। आज हम आपको गीता के कुछ ऐसे श्लोक बातने जा रहे हैं जो आपकी चिंताओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं।

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    Gita Updesh जरूर पढ़ें गीता के ये उपदेश। (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में कई लोग रोजाना भगवत गीता का पाठ करते हैं। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, बल्कि व्यक्ति के तनाव को कम करने में भी सहायक है। आपके आत्म-संदेह को दूर करने और सफलता की राह दिखाने में भगवद गीता से ये श्लोक आपके काम आ सकते हैं।

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    गीता के श्लोक (Geeta teachings)

    1. “सत्त्वानुरूपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत।

    श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छ्रद्धः स एव सः।।17.3।।।”

    इस श्लोक का अर्थ है कि इंसान जैसा विश्वास करता है, वैसा ही बन जाता है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा खुद पर भरोसा रखना चाहिए और सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर जो व्यक्ति जिस चीज में प्रति दृढ़ विश्वास रखता है, वह उसी के अनुसार, व्यवहार करने लगता है और उसी के अनुरूप बन जाता है।

    2. सदृशं चेष्टते स्वस्याः प्रकृतेर्ज्ञानवानपि।

    प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रहः किं करिष्यति।।3.33।।

    इस श्लोक का अर्थ है कि हर व्यक्ति अपनी प्रकृति के अनुसार ही कार्य करता है। इंसान की प्रकृति को जबरदस्ती बदला नहीं जा सकता। इसलिए हर व्यक्ति को अपने कौशल के अनुसार ही कार्य करना चाहिए, तभी वह सफलता को प्राप्त कर सकता है।

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    3. मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।

    आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।2.14।।

    इस श्लोक के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जीवन में सुख-दुख का आना-जाना लगा रहता है, ऐसे में व्यक्ति को उन्हें सहना सीखना चाहिए। अगर आप ऐसा करना सीख जाते हैं, तो आपको जीवन में आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

    4. उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्।

    आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः।।6.5।।

    इस श्लोक का अर्थ है कि व्यक्ति को खुद का उद्धार करना चाहिए, न कि पतन, क्योंकि हम खुद ही अपने मित्र होते हैं और खुद ही अपना शत्रु भी बन सकते हैं। ऐसे में अगर आप इस बात को समझ लेंगे, तो जीवन की कई समस्याओं से अपने आप छुटकारा मिल जाएगा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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