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    Masik Durgashtami 2025: मासिक दुर्गाष्टमी पर करें ये भव्य आरती, मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 06:25 AM (IST)

    मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Durgashtami 2025) मां दुर्गा को समर्पित है, जो हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन व्रत, पूजा और पाठ के बाद आरती का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसके बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है, तो आइए मां दुर्गा और मां काली की आरती करते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    Masik Durgashtami 2025: मासिक दुर्गाष्टमी पर करें ये भव्य आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मासिक दुर्गाष्टमी का दिन मां दुर्गा को समर्पित है, जो शक्ति, शौर्य और कल्याण की देवी हैं। हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यह पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन व्रत, पूजा और पाठ के बाद आरती का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आरती के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में मासिक दुर्गाष्टमी के शुभ अवसर (Masik Durgashtami 2025) पर आइए माता की कृपा पाने के लिए उनकी भव्य आरती करते हैं, जिससे मां की कृपा मिल सके।

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    ।। दुर्गा जी की आरती।।

    ॐ जय अम्बे गौरी…

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

    तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।

    उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

    रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी।

    सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

    कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।

    धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।

    मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी।

    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।

    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

    भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी।

    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

    श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे।

    कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥

    ॐ जय अम्बे गौरी॥

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

    ।।मां काली की आरती।। (Maa Kalratri Ki Aarti)

    अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,

    तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

    तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी।

    दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी।

    सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,

    दुशटन को तू ही ललकारती।

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

    माँ बेटी का है इस जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता।

    पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता।

    सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,

    दुखीं के दुक्खदे निवर्तती।

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

    नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना।

    हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना।

    सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,

    सतियो के सत को संवरती।

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।।

    चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली।

    वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली।

    माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,

    भक्तो के करेज तू ही सरती।

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

    अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली।

    तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।