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    Masik Shivratri 2025: मासिक शिवरात्रि पर करें शिव-पार्वती की भव्य आरती, शुभ फलों की होगी प्राप्ति

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 06:20 AM (IST)

    मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2025 November) भगवान शिव को समर्पित है, जो 18 नवंबर 2025 यानी आज के दिन मनाई जा रही है। इस व्रत को रखने से दुखों से मुक्ति मिलती है और मनचाहा जीवन साथी मिलता है। वहीं, इस दिन शिव जी और माता पार्वती की आरती जरूर करनी चाहिए, जो इस प्रकार हैं।

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    Masik Shivratri 2025: शिव-पार्वती की भव्य आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित है, जिसका पालन करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। यह शुभ तिथि इस बार मंगलवार यानी आज 18 नवंबर 2025 को पड़ रही है। इस व्रत को रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है। साथ ही शिव कृपा मिलती है। ऐसे में इस दिन (Masik Shivratri 2025 November) शिव जी और माता पार्वती की विधिवत पूजा करें। उन्हें बिल्व पत्र, सफेद फूल, मिठाई अर्पित करें। अंत में भाव के साथ आरती करें, जो इस प्रकार हैं।

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    ।।शिव जी की आरती।। (Lord Shiv Aarti)

    जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

    ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

    एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

    हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

    दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

    त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

    अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

    चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

    सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

    कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

    जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

    प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

    काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

    नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

    त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

    कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

    ।।माता पार्वती की आरती।। (Mata Parvati Ki Aarti)

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता

    ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता

    जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुणगु गाता।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा

    देव वधुजहं गावत नृत्य कर ताथा।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता

    हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    शुम्भ निशुम्भ विदारेहेमांचल स्याता

    सहस भुजा तनुधरिके चक्र लियो हाथा।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता

    नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    देवन अरज करत हम चित को लाता

    गावत दे दे ताली मन मेंरंगराता।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता

    सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।

    जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।