Vinayaka Chaturthi 2025 Date: 24 या 25 अक्टूबर, कब है विनायक चतुर्थी? नोट करें पूजा विधि और मंत्र
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (Vinayaka Chaturthi 2025 Date) 25 अक्टूबर को है, इसलिए विनायक चतुर्थी और छठ पूजा का पहला दिन 'नहाय खाय' भी इसी दिन मनाया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखने का विधान है। नहाय खाय के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर गणेश जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

Vinayak Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन से लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस दिन विनायक चतुर्थी भी मनाई जाती है। हालांकि, तिथि को लेकर साधक दुविधा में हैं। आइए, नहाय खाय और विनायक चतुर्थी की सही तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं-
कब मनाई जाएगी विनायक चतुर्थी?
वैदिक पंचांग की गणना अनुसार, 25 सितंबर को सुबह 07 बजकर 06 मिनट पर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि शुरू होगी। चतुर्थी तिथि पर चंद्र दर्शन करने की परंपरा है। इसके लिए कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
कब है नहाय खाय?
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा की शुरुआत होती है। इसके पहले दिन नहाय खाय मनाया जाता है। वहीं, दूसरे दिन खरना मनाया जाात है। जबकि, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके अगले दिन उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 25 अक्टूबर को है। इस प्रकार 25 अक्टूबर को नहाय खाय भी मनाया जाएगा।
पूजा विधि
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठें। घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और पीले रंग के कपड़े पहनें। इस समय आत्मा के कारक सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। पूजा के समय गणेश चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। पूजा के अंत में आरती करें। इस समय सुख, समृद्धि और शांति की कामना भगवान गणेश से करें।
इन मंत्रों का जप करें
1. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
3. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
4. “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा।”
5. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
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