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    Radha Ashtami 2024: राधा अष्टमी का व्रत कब खोलें? नोट करें पारण की सरल विधि

    Updated: Wed, 11 Sep 2024 11:12 AM (IST)

    धार्मिक मान्यता है कि इस विशेष दिन पर राधा रानी की सच्चे मन से उपासना करने से साधक को जीवन के दुखों से छुटकारा मिलता है और सुख-समृद्धि में अपार वृद्धि होती है। इस दिन पूजा मध्याह्न काल में की जाती है। चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं कि राधा अष्टमी व्रत (Radha Ashtami Vrat Vidhi) से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

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    Radha Ashtami 2024: राधा अष्टमी व्रत की विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। राधा अष्टमी का त्योहार राधा रानी को समर्पित है। यह पर्व हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर विधिपूर्वक राधा रानी के संग भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। व्रत के दौरान नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है। माना जाता है कि नियमों का पालन न करने से साधक को शुभ फल की प्राप्त नहीं होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि राधा अष्टमी व्रत (Radha ashtami ka vrat kab kholna chahiye) का पारण कब और कैसे करना चाहिए।

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    राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त (Radha Ashtami Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू हो गई है। वहीं, इस तिथि का समापन 11 सितंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। ऐसे आज यानी 11 सितंबर को राधा अष्टमी ( Radha Ashtami 2024 Date and Time) का पर्व मनाया जा रहा है। आज किशोरी जी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक है। ऐसी मान्यता है कि इस मुहूर्त में उपासना करने से साधक को दोगुना फल प्राप्त होता है।

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    राधा अष्टमी व्रत कब खोलें

    संध्याकाल में राधा रानी की सच्चे मन से पूजा करने के बाद प्रिय चीजों का भोग लगाएं। इसके बाद आप व्रत खोलें। इसके अगले दिन यानी 12 सितंबर को व्रत का पारण सुबह करें।

    ऐसे करें व्रत का पारण

    राधा अष्टमी के अगले दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद राधा रानी की पूजा करें। इसके बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न, धन और वस्त्र का दान। भोग अर्पित कर सात्विक भोजन करें। ऐसा माना जाता है कि व्रत का पारण न करने से साधक को किशोरी की कृपा प्राप्त नहीं होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।