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    Rishi Panchami 2025: यहां जानें ऋषि पंचमी की पूजा विधि और मंत्र, मिलेगा पूरा फल

    ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2025) का व्रत सप्तऋषियों की पूजा को समर्पित है जो मुख्य रूप से महिलाएं द्वारा किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस व्रत (Rishi Panchami Puja Vidhi) की पूजा विधि और मंत्र।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 28 Aug 2025 10:20 AM (IST)
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    Rishi Panchami 2025 Date (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसारभाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। इस प्रकार यह व्रत आज यानी 28 अगस्त को किया जा रहा है। इस दिन पर पूजा का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक रहने वाला है। साथ ही इस व्रत को करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

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    ऋषि पंचमी का महत्व (Rishi Panchami significance)

    ऋषि पंचमी का व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि यह व्रत महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान लगने वाले रजस्वला दोष से मुक्ति दिलाता है। इस दिन पर गंगा नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व माना गया है।

    इससे साधक के पाप तो नष्ट होते हैं, और उसे सप्तऋषियों का आशीर्वाद भी मिलता है। अगर आपके लिए गंगा स्नान संभव नहीं है, तो आप इस दिन घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इससे भी आपको शुभ फल मिलते हैं। 

    ऋषि पंचमी पूजा विधि (Rishi Panchami puja vidhi)

    ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद घर व मंदिर की साफ-सफाई करें। पूजा स्थान पर एक चौकी बिछाकर उसपर साफ लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। इसके बाद सप्तऋषि की तस्वीर स्थापित करें और कलश में गंगाजल भरकर रख लें। आप चाहें तो अपने गुरु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं। 

    सप्तऋषियों को अर्ध्य दें और धूप-दीप दिखाएं। इसके साथ ही पूजा में फल, फूल, घी, पंचामृत आदि अर्पित करें। सप्तऋषियों के मंत्रों का जप करें और अंत में अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें और बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।

    ऋषि पंचमी मंत्र (Rishi Panchami Mantra)

    कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।

    जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥

    दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः'॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।