Shani jayanti Or Bada Mangal 2025: शनि जयंती और तीसरे बड़े मंगल का दुर्लभ संयोग, जरूर करें ये आरती
आज शनि जयंती और तीसरा बड़ा मंगल है जिस पर न्याय के देवता शनि और भगवान हनुमान की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस शुभ संयोग पर दान-पुण्य करने और विधिपूर्वक पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और बिगड़े काम बनते हैं। इस दिन हनुमान जी और शनि देव की आरती करने का भी विशेष महत्व है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज शनि जयंती और तीसरा बड़ा मंगल मनाया जा रहा है। शनि जयंती पर न्याय के देवता और बड़े मंगल पर भगवान हनुमान की पूजा का विधान है। कहते हैं कि इस दुर्लभस संयोग पर ज्यादा से ज्यादा दान-पुण्य और धार्मिक काम करें। इसके साथ ही उनकी विधिवत पूजा करें। ऐसा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही बिगड़े काम बनते हैं। वहीं, यह दिन वीर बजरंगी और न्याय के देवता की आरती के बिना अधूरा माना जाता है। ऐसे में सुबह उठें और स्नान के बाद दीपक जलाएं।
उन्हें (Shani jayanti Or Bada Mangal 2025) फल, फूल और मिठाई अर्पित करें। फिर कपूर से भव्य आरती करें, जो इस प्रकार हैं।
।। हनुमान जी की आरती।। (Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics)
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठि पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।
।।शनि देव की आरती।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव....
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