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    Subrahmanya Sashti 2025: सुब्रह्मण्य षष्ठी पर कैसे करें कार्तिकेय जी की पूजा, जानिए सामग्री और संपूर्ण जानकारी

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 10:40 AM (IST)

    सुब्रह्मण्य षष्ठी, जिसे स्कंद षष्ठी भी कहते हैं। यह भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। दक्षिण भारत में यह बड़े उत्साह से मनाई जाती है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से बल, बुद्धि, ज्ञान, संतान सुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है। साल 2025 में यह पर्व (Subrahmanya Sashti 2025) 26 नवंबर को मनाया जाएगा। आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Subrahmanya Sashti 2025: सुब्रह्मण्य षष्ठी पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सुब्रह्मण्य षष्ठी, जिसे स्कंद षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। यह विशेष रूप से दक्षिण भारत में बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तों को बल, बुद्धि, ज्ञान, और संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल सुब्रह्मण्य षष्ठी (Subrahmanya Sashti 2025) का पर्व बुधवार, 26 नवंबर को मनाया जाएगा। आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

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    puja rituals

    पूजा सामग्री (Subrahmanya Sashti Puja Samagri)

    • भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा
    • पंचामृत
    • साफ वस्त्र
    • लाल या पीले रंग के फूल, विशेषकर कनेर या गुलाब
    • चंदन और कुमकुम/रोली
    • धूप और दीपक
    • मोदक, फल, खीर, या मीठे चावल
    • पान के पत्ते और सुपारी
    • अक्षत
    • जल का कलश

    भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि (Subrahmanya Sashti Puja Vidhi)

    • सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
    • साफ वस्त्र धारण करें।
    • पूजा स्थल को साफ करें और भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें।
    • हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत तथा पूजा का संकल्प लें।
    • सबसे पहले भगवान कार्तिकेय की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
    • फिर शुद्ध जल से स्नान कराकर साफ कपड़े से पोंछें।
    • उन्हें नए वस्त्र और माला पहनाएं।
    • चंदन और कुमकुम का तिलक लगाएं।
    • धूप, दीप जलाएं और भगवान कार्तिकेय को फल, सुपारी और भोग अर्पित करें।
    • पूजन के दौरान भगवान कार्तिकेय के बीज मंत्र 'ॐ शरवण भव' या 'ॐ स्कंदाय नमः' का कम से कम 108 बार जाप करें।
    • स्कंद षष्ठी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
    • पूजा के बाद कपूर या घी के दीपक से भगवान कार्तिकेय जी की आरती करें।
    • आरती के बाद प्रसाद सभी में बांटें।
    • पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें।

    व्रत और पारण (Subrahmanya Sashti Paran Rules)

    • इस दिन कई भक्त निर्जला व्रत रखते हैं, जबकि कुछ लोग केवल फलाहार करते हैं।
    • व्रत का पारण अगले दिन, यानी सप्तमी तिथि को, सूर्योदय के बाद किया जाता है।

    पूजा मंत्र (Subrahmanya Sashti Puja Mantra)

    • ॐ शारवाना-भावाया नमः
    • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात॥
    • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात॥
    • देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।