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    Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकादशी पर करें तुलसी चालीसा का पाठ, खुलेंगे किस्मत के द्वार

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 08:24 AM (IST)

    उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, जो मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था, जिन्होंने मुर राक्षस का वध किया था। इस दिन व्रत और पूजा से विशेष फल मिलता है। 2025 में यह 15 नवंबर को पड़ रही है। इस शुभ दिन पर तुलसी माता की पूजा और तुलसी चालीसा का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।

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    Utpanna Ekadashi 2025: तुलसी चालीसा का पाठ।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्पन्ना एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। यह तिथि मार्गशीर्ष (अगहन) माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु से 'एकादशी माता' का जन्म हुआ था, जिन्होंने राक्षस मुर का वध कर देवताओं को भय मुक्त किया था। इसलिए, इस एकादशी पर व्रत और पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है। इस साल उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2025) का पावन पर्व 15 नवंबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा।

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    इस शुभ दिन पर अगर आप भगवान विष्णु की प्रिया तुलसी माता की पूजा करते हैं और तुलसी चालीसा का पाठ करते हैं, तो जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ श्री हरि की कृपा मिलती है।

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    ।।दोहा तुलसी चालीसा।। (Tulsi Chalisa Ka Path)

    श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।

    जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।

    नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।

    दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।

    विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।

    भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।

    जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।

    करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।

    कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।

    तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।

    कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।

    वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।

    श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।

    कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।

    छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।

    तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।

    औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,

    देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।

    वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।

    नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।

    नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।

    नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।

    नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।

    नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।

    नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।

    जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।

    निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।

    करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।

    शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।

    क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।

    मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।

    जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।

    बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।

    प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।

    चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।

    करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।

    पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।

    यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।

    करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।

    है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।

    तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।

    भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।

    यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।

    गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।

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