Vinayak Chaturthi के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, नाराज हो सकते हैं विघ्नहर्ता
वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025) का व्रत किया जाता है। इस तिथि पर भगवान गणेश की पूजा होती है। मान्यता के अनुसार विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को शुभ परिणाम मिलते हैं। आइए विनायक चतुर्थी के नियम जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चतुर्थी तिथि पर व्रत करने से काम में आ रही बाधा दूर होती है। साथ ही भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन अन्न, धन समेत आदि चीजों का दान भी करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि विनायक चतुर्थी के दिन दान और पूजा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और रुके हुए काम पूरे होते हैं।
इस दिन कुछ कामों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि वर्जित कामों को करने से साधक को गणपति बप्पा की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है, तो ऐसे में आइए से जानते हैं कि विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025 Niyam) के दिन क्या करें क्या न करें?
विनायक चतुर्थी डेट और शुभ मुहूर्त शुभ मुहूर्त (Vinayaka Chaturthi 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 मई को देर रात 11 बजकर 18 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 30 मई को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में 30 मई को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी।
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विनायक चतुर्थी के दिन क्या करें (What to do on the day of Vinayak Chaturthi 2025)
- विनायक चतुर्थी के दिन के दान करने का खास महत्व है।
- स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- सच्चे मन से महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा करें।
- गणेश चालीसा का पाठ करें।
- मोदक समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
- मंत्रों का जप करें।
- सात्विक चीजों का सेवन करें।
विनायक संकष्टी चतुर्थी के दिन क्या न करें (What not to do on the day of Vinayak Chaturthi 2025)
- इस दिन काले रंग के कपड़ें न पहनें।
- तामसिक चीजों का सेवन भूलकर भी न करें।
- किसी से कोई वाद-विवाद भी न करें।
- बड़ों का अपमान न करें।
- घर और मंदिर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।
भगवान गणेश के मंत्र
1. श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
2. ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
3. ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
4. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये
वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
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