Vinayak Chaturthi पर 'सुकर्मा' योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, मिलेगा दोगुना फल
सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि (Vinayak Chaturthi 2025 Yoga) देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश को प्रिय है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही करियर और कारोबार संबंधी परेशानी भी दूर होती है। चतुर्थी तिथि पर मंदिरों में भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार 01 मई को विनायक चतुर्थी है। यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सुकर्मा योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रह हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं।
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विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Shubh Muhurat)
30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत होगी। वहीं, 1 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन होगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, गुरुवार 01 मई को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी।
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Shubh Yoga)
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सुकर्मा योग का संयोग बन रहा है। सुकर्मा योग का निर्माण सुबह 08 बजकर 34 मिनट से हो रहा है, जो रात भर है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता मिलेगी।
रवि योग
वैशाख माह की चतुर्थी तिथि पर रवि योग का भी संयोग बनेगा। रवि योग सुबह 05 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 21 मिनट तक है। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान साधक को मिलेगा। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से भी मुक्ति मिलेगी।
नक्षत्र एवं चरण
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र का संयोग है। मृगशिरा नक्षत्र दोपहर 02 बजकर 21 मिनट तक है। इसके बाद आर्द्रा नक्षत्र का संयोग बनेगा। इसके साथ ही बव एवं बालव करण के योग हैं। इन योग में गणपति बप्पा की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 40 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट पर
- चन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 23 मिनट पर
- चंद्रास्त- रात 11 बजकर 18 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 14 मिनट से 04 बजकर 57 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 55 मिनट से 07 बजकर 17 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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