कौन थे राजा बाली? जिनकी शक्ति के आगे चूर-चूर हो गया था रावण का घमंड
राजा बाली किष्किंधा के परमवीर वानर राजा और सुग्रीव के बड़े भाई थे। उन्हें वरदान प्राप्त था कि युद्ध में उनके विरोधी की आधी शक्ति उनमें समा जाती थी, जिससे उन्हें हराना असंभव था। इसी शक्ति के बल पर उन्होंने रावण को आसानी से पराजित कर दिया था। आइए इस कथा को विस्तार से जानते हैं।

Raja Bali: राजा बाली और रावण का युद्ध।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। राजा बाली (Raja Bali) को महाबली, परमवीर और शक्तिशाली योद्धा के रूप में जाना जाता है। उनका उल्लेख रामायण और विभिन्न पुराणों में मिलता है। बाली किष्किंधा के वानर राजा और सुग्रीव के बड़े भाई थे। उनकी शक्ति और वीरता की गाथाएं आज भी सुनाई जाती हैं, खासकर वह कथा जब उनके सामने दशानन रावण (Ravan) का अहंकार मिट्टी में मिल गया था।

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बाली की अद्भुत शक्तियां
वाल्मीकि रामायण के किष्किन्धाकाण्ड के अनुसार, राजा बाली को उनके पिता, देवराज इंद्र, से वरदान स्वरूप ऐसी शक्ति प्राप्त थी, जिसने उन्हें लगभग अजेय बना दिया था। उन्हें वरदान मिला था कि जब भी वह किसी से युद्ध करेंगे, उसके बल का आधा हिस्सा बाली में समा जाएगा। इस शक्ति के कारण, उनका सामना करने वाला हर योद्धा युद्ध शुरू होने से पहले ही अपनी आधी शक्ति खो देता था, जिससे बाली की ताकत दोगुनी हो जाती थी। यही कारण था कि उन्हें पराजित करना किसी के लिए भी असंभव था।
जब रावण से हुआ आमना-सामना
एक बार, लंकापति रावण अपनी दिग्विजय यात्रा पर निकले थे। अपनी शक्ति पर अभिमान करते हुए, वह किष्किंधा के पास पहुंचे। रावण ने देखा कि बाली समुद्र तट पर तपस्या कर रहे थे। रावण ने उन्हें ललकारा और उन्हें युद्ध के लिए चुनौती दी, ताकि वह उन्हें हराकर अपनी शक्ति साबित कर सकें। जैसे ही रावण ने बाली से युद्ध करने का विचार किया, बाली की वरदान वाली शक्ति के कारण रावण का आधा बल बाली में समा गया। बिना किसी प्रयास के बाली ने रावण को अपनी कांख (बगल) में दबा लिया।
बाली ने रावण को छह महीने तक अपनी बगल में दबाकर रखा। अपने पराक्रम का ऐसा अपमान देखकर रावण का सारा घमंड चूर-चूर हो गया। शक्ति में बाली की श्रेष्ठता को स्वीकार करते हुए, रावण ने उनसे मित्रता कर ली।
बाली का अंतिम समय
अंत में, बाली का वध भगवान राम ने उनके छोटे भाई सुग्रीव को न्याय दिलाने के लिए किया। बाली को अपने भाई सुग्रीव को राज्य से निकालने और उसकी पत्नी को छीनने के कर्मों का दंड मिला, और उनका वध प्रभु राम के तीर से हुआ, क्योंकि सामने युद्ध में उन्हें हराना मुश्किल था। दरअसल, प्रभु श्रीराम ने सुग्रीव को बाली से युद्ध करने के लिए भेजा, हालांकि राम जी को पता था कि इस युद्ध में सुग्रीव की हार होगी। जब बाली और सुग्रीव दोनों भाई लड़ रहे थे, उस समय श्रीराम ने एक बाण छोड़ा और वह सीधे बाली की छाती में लगा। इससे बाली की मृत्यु हो गई।
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